patrika.com पर पढ़ें ये बच्चे की जिंदगी की स्टोरी, जिसमें एक नवजात शिशु की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को न जाने क्या-क्या करना पड़ा…।
मंडला जिले के मवई विकासखंड के ग्राम खैरी में एक 5 महीने के शिशु शिवांश को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की लगातार कोशिशें आखिरकार रंग लाईं। समय से पहले जन्मे इस बच्चे को उसके माता-पिता अंजना और बलराम मरावी अपनी मर्जी से जबलपुर मेडिकल कॉलेज से वापस घर ले आए थे, जबकि बच्चे को गहन चिकित्सा की आवश्यकता थी।
मर्जी से घर ले गए थे माता-पिता
बताया गया कि पूरा मामला तब सामने आया जब 29 जून को जबलपुर मेडिकल कॉलेज की डॉ. सोनाली ठाकरे ने मंडला के जिला कार्यक्रम प्रबंधक हिमांशु सिंगौर को सूचना दी कि 5 माह का शिशु शिवांश जो वेंटिलेटर पर था, उसे उसके माता-पिता अपनी मर्जी से घर ले गए हैं। डॉ. सोनाली ठाकरे ने बताया कि बच्चे को अभी भी खांसी चल रही है और उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है।
स्वास्थ्य विभाग ने लिया एक्शन
बताया गया कि इस बात की जानकारी मिलते ही जिला कार्यक्रम प्रबंधक हिमांशु सिंगौर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ब्लॉक कम्युनिटी मोबिलाइजर के माध्यम से सीएचओ और आशा कार्यकर्ता को बच्चे के घर भेजा, जहां स्वास्थ्य टीम ने बच्चे की जांच की और परिवार वालों से उसे अस्पताल में भर्ती कराने का आग्रह किया, लेकिन परिवार ने मना कर दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस का सहयोग भी लिया गया, फिर भी परिवार वाले बच्चे को अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं हुए।
एक बार फिर मना कर दिया
डीसीएम हिमांशु सिंगौर ने इस पूरे घटनाक्रम से सीएमएचओ डॉ. डीजे मोहंती को अवगत कराया। सीएमएचओ ने मवई बीएमओ से बात की और अगले दिन फिर से सीएचओ और आशा कार्यकर्ता को बच्चे को अस्पताल ले जाने के लिए भेजा गया, लेकिन परिवार ने एक बार फिर मना कर दिया। इसके बाद ब्लॉक स्तर से एसडीएम को सूचित किया गया।
काफी समझाने-बुझाने के बाद माने
हिमांशु सिंगौर ने स्वयं सरपंच से भी बात की और सीएचओ से लगातार संपर्क में रहते हुए उन्हें किसी भी स्थिति में बच्चे को जिला चिकित्सालय मंडला भेजने का निर्देश दिया। आखिरकार 1 जुलाई को शिशु शिवांश की मां अंजना और दादी आशा बच्चे को लेकर जिला चिकित्सालय मंडला पहुंचीं। वे बच्चे की सामान्य जांच कराकर वापस जाने की जिद करने लगे और हगांमा मच गया। परिजन बच्चे को घर ले जाने की जिद पर अड़े रहे। जिसके बाद जिला चिकित्सालय मंडला एसएनसीयू में भर्ती बच्चे के परिजनों को डीसीएम हिमांशु सिंगौर, सीएमएचओ और डॉ. सोनाली ठाकरे सहित सभी ने मिलकर समझाया और बच्चे की स्थिति की गंभीरता बताई। काफी समझाने-बुझाने के बाद परिजन ने बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की सहमति दी। बताया गया कि मंगलवार की शाम करीब 6 से 7 बजे के बीच हिमांशु सिंगौर की व्यक्तिगत उपस्थिति में शिशु शिवांश को जिला चिकित्सालय मंडला में भर्ती कराया गया। शिशु का वर्तमान में वजन 2 किलो 500 ग्राम है। डीसीएम हिमांशु सिंगौर ने बताया कि शिवांश का जन्म 7 माह में ही जननी एक्सप्रेस में रास्ते में हो गया था और तब उसका वजन मात्र 1 किलो था। जन्म के बाद उसे एक महीने तक जिला चिकित्सालय मंडला के एसएनसीयू में रखकर इलाज किया गया था, जिसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था। आशा कार्यकर्ता द्वारा होम बेस्ड न्यूबॉर्न केयर फॉलोअप के दौरान सर्दी-खांसी होने पर उसे मेडिकल कॉलेज जबलपुर में भर्ती कराया गया था, जहाँ वह वेंटिलेटर पर था, लेकिन 13 जून को उसके माता-पिता उसे अपनी मर्जी से घर ले आए थे।
अब सेहत में आएगा सुधार
डीसीएम हिमांशु ने कहा कि जिला चिकित्सालय मंडला में शिवांश को आवश्यक उपचार मिल रहा है और उसकी सेहत में जल्द सुधार आएगा। एसएनसीयू में बच्चे के स्वास्थ्य पर चिकित्सकों की टीम नजर रख रही है।