मुस्कान को उम्रकैद, फांसी या बेल?
एडवोकेट नीरज कुमार ने सौरभ हत्याकांड मामले के कानूनी पहलुओं पर रोशनी डाली और बताया कि इस केस में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं सामने आई हैं, जो जांच की दिशा तय करेंगी। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच में मुस्कान की सौतेली मां के खाते में पैसे ट्रांसफर होने की बात सामने आई है। यह तथ्य जांच के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन इस पूरे मामले में एक बड़ी समस्या यह है कि कोई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है।” पुलिस जांच-एफएसएल रिपोर्ट पर निर्भर करेगा सब
नीरज कुमार के अनुसार, सौरभ हत्याकांड मामला पूरी तरह से पुलिस की जांच और एफएसएल रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि एफएसएल रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि वह ड्रम जिसमें सौरभ का शव सीमेंट से पैक कर रखा गया था, उसके बारे में क्या निष्कर्ष निकलते हैं। यह रिपोर्ट इस मामले में अहम भूमिका निभाएगी, क्योंकि बिना गवाह के सिर्फ रिपोर्ट पर ही आगे की कार्रवाई होनी है।
‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ है सौरभ हत्याकांड केस
मुस्कान और साहिल को फिलहाल जमानत मिलने की संभावना पर सवाल उठाते हुए नीरज कुमार ने कहा कि यह केस ‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ श्रेणी का है और इसमें जमानत मिलना संभव नहीं है। आरोप बेहद गंभीर हैं, और जब तक ट्रायल पूरा नहीं हो जाता, दोनों को जेल में ही रहना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेरी राय में दोनों को जमानत मिलना नामुमकिन है। मुस्कान को नहीं होगी फांसी!
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में फांसी की सजा मिलने की संभावना नहीं है, क्योंकि भारत में अब तक किसी महिला को फांसी की सजा नहीं मिली है। यहां तक कि राजीव गांधी के हत्यारों में से एक महिला को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में उसे भी माफ कर दिया गया था। नीरज कुमार ने कहा कि अभी तक जो भी बातें सामने आई हैंं, उसके अनुसार मुस्कान ही मुख्य आरोपी है, क्योंकि सारा षड्यंत्र उसी ने रचा था। साहिल को सह आरोपी माना जाएगा, उसकी भूमिका उतनी महत्वपूर्ण नहीं है। भारतीय न्याय व्यवस्था में सजा का निर्धारण किसी व्यक्ति के लिंग, जाति या धर्म के आधार पर नहीं होता, इसलिए दोनों को समान सजा मिलेगी।