मंत्री जाधव के अनुसार, विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र में मार्च महीने में 250 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से 102 किसान ऐसे थे जिन्हें सरकार की ओर से मुआवजा देने योग्य माना गया है। वहीं 62 किसानों को मुआवजे के लिए अयोग्य ठहराया गया, जबकि 77 मामलों की जांच अभी जारी है। वहीँ, अप्रैल में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 229 रही, जिनमें से 74 किसान मुआवजे के पात्र पाए गए, 31 को अयोग्य माना गया और शेष 124 मामलों की जांच की जा रही है।
तीन महीने में 767 घर उजड़े- राहुल गांधी
गौरतलब हो कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या को लेकर गुरुवार को बीजेपी नीत सरकार पर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में तीन महीनों में 767 किसानों ने आत्महत्या की, लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने यह दावा भी किया कि यह सरकारी सिस्टम किसानों को मार रहा है, लेकिन पीएम मोदी अपने पीआर का तमाशा देख रहे हैं। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सोचिए.. सिर्फ तीन महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली। क्या यह सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये 767 उजड़े हुए घर हैं। 767 परिवार, जो कभी नहीं संभल पाएंगे। और सरकार? वह चुप है। बेरुख़ी से देख रही है।”
55928 किसानों ने आत्महत्या की- मालवीय
वहीँ, राहुल गांधी के आरोपों पर बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए एक्स पर एक चार्ट साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि एनसीपी (अविभाजित) और कांग्रेस कि जब महाराष्ट्र में 15 साल तक सरकार थी तो इस दौरान 55,928 किसानों ने आत्महत्या की थी। हालांकि इस तरह की राजनीति घृणित है, लेकिन राहुल गांधी जैसे लोगों को आईना दिखाना जरूरी है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ के जिलों में किसानों के आत्महत्या की मुख्य वजहें कर्ज का बोझ, सूखा, फसल नुकसान और बाजार में उचित मूल्य न मिलना बताया जा रहा हैं। कई बार सरकार की योजनाएं और आर्थिक मदद भी जरूरतमंद किसानों तक समय पर नहीं पहुंच पाती, जिससे अन्नदाता आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठा लेते हैं।