बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में आरबीआई को निर्देश दिया कि कोल्हापुर के आठ लोगों की जब्त की गई पुरानी नोट को बदलकर नए नोट दिए जाएं। इस फैसले से याचिकाकर्ता आठ लोगों को आठ साल बाद बड़ी राहत मिली है।
क्या है पूरा मामला?
कोल्हापुर के रमेश पोतदार और उनके साथ सात अन्य लोगों ने 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर जस्टिस अतुल चांदूरकर और जस्टिस मिलिंद साठे की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए रिजर्व बैंक को आदेश दिया कि 12 मार्च 2025 तक इन आठ लोगों को चलन से बाहर हो चुके पुराने 500 नोटों की जगह नए नोट दिए जाएं। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके बाद रिजर्व बैंक ने 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट बैंकों में जमा कराने की छूट दी थी। लेकिन इससे ठीक चार दिन पहले 26 दिसंबर 2016 को इनकम टैक्स विभाग ने पोतदार परिवार के घर पर छापा मारा और 20 लाख रुपये मूल्य के 500 रुपये के पुराने नोट जब्त कर लिए।
बाद में इनकम टैक्स विभाग ने पोतदार परिवार को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया और उनका बयान दर्ज किया। जांच के बाद 10 जनवरी 2017 को विभाग की ओर से शाहूवाड़ी पुलिस को पत्र भेजकर बताया गया कि नोटों को जब्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद 14 जनवरी 2017 को पुलिस ने पोतदार परिवार को इसकी जानकारी दी।
रिजर्व बैंक का इनकार
पैसे वापस मिलने के बाद जब पोतदार परिवार 17 जनवरी 2017 को मुंबई स्थित आरबीआई के कार्यालय में पहुंचा और अपने पुराने नोट बदलने की मांग की। लेकिन शीर्ष बैंक के अधिकारियों ने मना कर दिया, क्योंकि नोट बदलने की आखिरी तारीख निकल चुकी थी। मजबूरन पोतदार परिवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।