भारतीय समुदाय के बीच की गई सम्मान की घोषणा
यह घोषणा मॉरीशस में भारतीय समुदाय के एक विशेष कार्यक्रम के दौरान की गई। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, मॉरीशस की जनता और सरकार ने मुझे यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का निर्णय लिया है, मैं इसे विनम्रता से स्वीकार करता हूं। उन्होंने कहा कि यह सम्मान सिर्फ उनका नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।
भोजपुरी में शुरू किया भाषण, याद की पिछली यात्रा
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत भोजपुरी में करते हुए कहा, साथियों, दस साल पहले आज ही के दिन मैं मॉरीशस आया था। तब होली एक हफ्ते पहले बीत चुकी थी और मैं भारत से फगवा (होली) की उमंग लेकर आया था। इस बार मैं मॉरीशस से होली के रंग लेकर भारत जाऊंगा, क्योंकि 14 तारीख को वहां भी रंगों का त्योहार मनाया जाएगा। गुजरात में चीनी को मोरस क्यों कहते हैं? पीएम मोदी ने सुनाया किस्सा
प्रधानमंत्री ने भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक संबंधों पर बात करते हुए कहा कि एक समय था जब भारत के पश्चिमी हिस्सों में मिठाइयों के लिए मॉरीशस से चीनी आती थी। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, शायद यही वजह थी कि गुजराती भाषा में चीनी को ‘मोरस’ कहा जाता है। उन्होंने दोनों देशों के संबंधों की “मिठास” को और गहराने की बात कही और मॉरीशस के नागरिकों को राष्ट्रीय दिवस की बधाई दी।
भारत-मॉरीशस के ऐतिहासिक रिश्तों का सम्मान
पीएम मोदी ने कहा, यह सम्मान उन भारतीयों का भी है, जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी इस धरती की सेवा की और मॉरीशस को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मैं इस सम्मान को पूरे भारत की ओर से स्वीकार करता हूं।
1998 की यादें और रामायण सम्मेलन
उन्होंने याद किया कि 1998 में जब वे सरकारी पद पर नहीं थे, तब अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में भाग लेने के लिए मॉरीशस आए थे। उस समय भी नवीन रामगुलाम प्रधानमंत्री थे। पीएम मोदी ने बताया कि जब मैं प्रधानमंत्री बना, तो नवीन जी मेरे शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली आए थे। उन्होंने कहा कि मॉरीशस में प्रभु श्रीराम और रामायण के प्रति गहरी आस्था है और वर्षों बाद भी उन्होंने वही भावनाएं महसूस कीं, जो पहली बार यात्रा के दौरान हुई थीं।
भारत-मॉरीशस संबंधों को मिलेगा नया आयाम
यह सम्मान भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूती देगा। पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को नए आयाम तक ले जाने वाला साबित हो सकता है।