दूध नहीं, जहर पी रहे हैं लोग!
पडलकर ने दावा किया कि राज्य में बड़ी संख्या में लोग यह नकली और जहरीला दूध पी रहे हैं, जिसे वे पोषक समझते हैं। उन्होंने कहा, हमारी जनता को हर रोज पोषण के नाम पर जहर पिलाया जा रहा है। यह बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों के स्वास्थ्य से खुला खिलवाड़ है।
CM बोले- दोषियों को नहीं बख्शेंगे
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तत्काल संज्ञान लिया और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि गोपीचंद पडलकर ने बहुत गंभीर मुद्दा उठाया है। अगर दूध के जरिए जनता को ज़हर पिलाया जा रहा है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि वह खुद फूड एंड ड्रग्स विभाग, स्वास्थ्य विभाग और संबंधित एजेंसियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करेंगे। इसके साथ ही सख्त कानून लाने और जांच एवं कार्रवाई में तेजी लाने का भरोसा भी दिलाया।
दूध की मांग और सप्लाई में बड़ा अंतर
बीजेपी नेता ने यह भी सवाल उठाया कि राज्य में दूध देने वाले पशुओं की संख्या और खपत में भारी अंतर है, फिर यह अतिरिक्त दूध कहां से आता है? इसका सीधा जवाब है- मिलावट। इस नकली दूध की आपूर्ति से जनता की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। विधायक सदाभाऊ खोत ने कहा, महाराष्ट्र में भैंस का दूध 80 से 90 लाख लीटर और गाय का दूध 1 करोड़ 25 लाख लीटर तक होता है। इसमें से 70 लाख लीटर दूध पैकिंग किया जाता है और शेष दूध अन्य में इस्तेमाल होता है। वर्तमान में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध बेहद सस्ते दामों में विक्रेताओं तक पहुंच रहा है। इस पर उन्हें तगड़ी कमाई होती है। एक तरफ किसानों को लूटना, दूसरी तरफ ग्राहकों को भी ठगना और हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना, यही दूध माफिया कर रहे है। ऐसे लोगों को उम्रकैद तक की सख्त सजा मिलनी चाहिए। तभी दूध उत्पादक किसान, आम नागरिक और छोटे बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहेगा। 100 प्रतिशत मिलावटी दूध के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए। फूड ट्रकों की जांच करने वालों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए। क्योंकि किसान दूध में मिलावट नहीं करते।”