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मुंबई

‘नहीं तो आतंक का राज होगा’, बॉम्बे HC की सख्त टिप्पणी, नागपुर दंगों के 9 आरोपियों को दी जमानत

Nagpur Riots: औरंगजेब की समाधि हटाने की मांग को लेकर इसी साल मार्च में नागपुर में भड़के दंगों के मामले में गिरफ्तार 9 आरोपियों को जमानत मिल गई है।

मुंबईJun 26, 2025 / 02:05 pm

Dinesh Dubey

Nagpur Police flag march

नागपुर हिंसा के दौरान की तस्वीर

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर भड़के दंगों (Nagpur Violence) के मामले में गिरफ्तार किए गए नौ आरोपियों को जमानत दे दी। इस दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने नफरत फैलाने वाले अपराधों और भीड़तंत्र पर कड़ी चेतावनी भी दी। कोर्ट ने कहा कि भीड़ द्वारा की गई हिंसा संविधानिक व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाती है।

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हालांकि, अदालत ने 17 मार्च को औरंगजेब की समाधि (Aurangzeb Tomb) को लेकर छत्रपती संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) में भड़के दंगों के मामले में गिरफ्तार किए गए 9 आरोपियों को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि अब उनकी हिरासत की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है।
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जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने सुनवाई के दौरान कहा, “भीड़ को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोई भी व्यक्ति स्वयंभू रक्षक बनकर कानून की अपनी व्याख्या दूसरों पर जबरन नहीं थोप सकता, खासकर हिंसा के जरिए तो बिलकुल नहीं।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘कोडुंगल्लूर फिल्म सोसाइटी’ मामले का हवाला देते हुए कहा, “हेट क्राइम असहिष्णुता, वैचारिक वर्चस्व और पूर्वाग्रह का परिणाम होते हैं। अगर इन्हें समय रहते रोका न गया, तो यह भय और आतंक का माहौल बना सकते हैं।”
इस फैसले के जरिए हाईकोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है, न कि भीड़ की। जस्टिस उर्मिला ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, नहीं तो इससे आतंक का राज स्थापित हो जाएगा।
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कैसे भड़की थी हिंसा?

बताया जा रहा है कि हिंसा तब भड़की जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की कब्र के खिलाफ महाल इलाके में विरोध प्रदर्शन किया। औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर किए गए इस प्रदर्शन में धार्मिक चिंह जलाये जाने की अफवाह उड़ी। आरोप है कि अफवाह को लेकर 17 मार्च को माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के शहर अध्यक्ष फहीम खान ने भीड़ इकट्ठा कर माहौल को भड़काया।
17 मार्च को दोपहर तक हर जगह अफवाह फैल गई कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर नागपुर के महाल इलाके के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर हिंदू संगठनों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन में जिस प्रतीकात्मक कब्र को जलाया गया, उस पर रखी चादर पर धार्मिक चिह्न था। इसके बाद ही हिंसा की शुरुआत हुई। शाम को हिंसा भड़कने से पहले दोपहर में फहीम खान ने खुद पुलिस को ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि उसकी भावनाएं आहत हुई हैं। इस दौरान फहीम के साथ आई भीड़ ने थाने के बाहर नारेबाजी की। तब पुलिस ने माहौल शांत कराने की कोशिश की, लेकिन रात होते ही विवाद फिर भड़क उठा और हिंसक भीड़ हिंदू बहुल इलाकों में गई और पथराव व आगजनी शुरू कर दी। इस हिंसा में तीन पुलिस उपायुक्तों समेत 12 पुलिसकर्मी घायल हुए। पथराव और आगजनी के सिलसिले में 80 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

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