सांसद राजेश वर्मा ने कहा, “महाराष्ट्र में लगातार हिंदी भाषियों, खासतौर पर पूर्वांचल के लोगों पर हमले हो रहे हैं। वो भी महज इस वजह से कि वे मराठी भाषा नहीं बोल सकते, उन्हें पीटा जा रहा है, उनके साथ हाथापाई की जा रही है… 10-10 के झुंड में आकर निहत्थे पर हमला करना और इसे राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन बताना, इससे ज्यादा ओछी हरकत और कुछ नहीं हो सकती है।”
उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं को चुनौती देते हुए कहा कि “अगर आप इतने ही बहादुर है, तो अकेले जाइये, झुंड में हमला करना किसी भी तरह की बहादुरी नहीं है। हिंदी भाषी अपनी योग्यता से महाराष्ट्र में नौकरी कर रहे है, वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं।”
चिराग पासवान की पार्टी के नेता राजेश वर्मा ने महाराष्ट्र में काम कर रहे हिंदी भाषियों का समर्थन करते हुए कहा, “जो भी हिंदी भाषी लोग वहां रोजगार कर रहे हैं, वे अपनी योग्यता के दम पर कर रहे हैं। भीख मांगकर रोजगार नहीं कर रहे हैं। महाराष्ट्र में जितने बड़े उद्योग और कारखाने चल रहे हैं, उनमें हिंदी भाषियों का अहम योगदान है। वे दिन-रात मेहनत करके उन उद्योगों को चला रहे हैं। बदले में उन्हें सम्मान चाहिए, न कि हिंसा और अपमान।”
सदन में उठाएंगे मुद्दा
वर्मा उन्होंने स्पष्ट कहा कि “हमारी पार्टी हिंदी भाषी लोगों पर हमले की कड़ी निंदा करती है। हिंदी भाषी जब आपका सम्मान करते हैं, तो आपसे भी सम्मान की उम्मीद रखते हैं। हम आने वाले समय में इस मुद्दे को सदन में मजबूती से उठाएंगे।”
एलजेपी सांसद का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों पर बढ़ते हमलों को लेकर चिंता बढ़ रही है। अब देखना होगा कि राज ठाकरे की पार्टी मनसे इस चेतावनी पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
मुंबई में मराठी नहीं बोलने पर कर्मचारी की पिटाई
हाल ही में मुंबई के अंधेरी इलाके के वर्सोवा में स्थित डी-मार्ट स्टोर में ऐसा ही वाकिया हुआ। जहां मराठी भाषा को लेकर एक ग्राहक और स्टोर के कर्मचारियों के बीच बहस हो गई। यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब डी-मार्ट के कर्मचारी ने ग्राहक से कहा कि वह मराठी नहीं बोल सकता और केवल हिंदी में ही बात करेगा। इसके बाद ग्राहक ने मनसे को इसकी सूचना दी और कुछ ही देर में मनसे के नेता और कार्यकर्ता वहां आ गए। उन्होंने कर्मचारी की पिटाई की और उसे मराठी में माफी मांगने के लिए मजबूर किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मनसे कार्यकर्ताओं का कहना था कि महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों को मराठी भाषा का सम्मान करना चाहिए और मराठी आनी चाहिए। इस घटना को लेकर पुलिस में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।