पूर्व कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा, कांग्रेस ने अपने मुंबई दफ्तर का किराया कई वर्षों से नहीं भरा है। दफ्तर पर बस ताला लगना बाकी है। पिछले 10 महीने से वहां के कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं मिली है। मुंबई कांग्रेस के ऊपर बस ताला लगना बाकी रह गया है। इसके लिए कांग्रेस के ही निकम्मे नेता जिम्मेदार हैं।
बता दें कि वर्षा गायकवाड़ (Varsha Gaikwad) मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति की अध्यक्ष हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित प्रमुख कांग्रेस नेता इससे जुड़े रहे हैं।
बिजली का कनेक्शन काटा गया- निरुपम
संजय निरुपम ने कहा, मुंबई कांग्रेस का कार्यालय महाराष्ट्र सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के परिसर में चलता है। उसका पिछले कई महीनों से किराया नहीं दिया गया है। 18 लाख रुपये का बिल हो गया है। बिजली का बिल 5 लाख हो चुका है, इसलिए बिजली कंपनी मीटर ही निकाल कर ले गई थी।” हालांकि, बिल का कुछ हिस्सा चुकाने के बाद बिजली कनेक्शन बहाल कर दिया गया है।
उन्होंने कहा, मैं भी चार वर्षों तक मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष था। कभी ऐसी शर्मनाक स्थिति पैदा नहीं हुई थी। मुंबई कांग्रेस चलाने का महीने का खर्चा 14 लाख रुपये था। इसमें ऑफिस का भाड़ा, बिजली बिल, सभी कर्मचारियों का वेतन शामिल था।
वर्षा गायकवाड पर कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल
शिवसेना नेता द्वारा कांग्रेस दफ्तर को लेकर दिया गए बयान पर कांग्रेस नेता भाई जगताप ने कहा, “बहुत दुख होता है। मुझे यह बात कहने में जरा भी संकोच नहीं होगा। जो भी कोई अध्यक्ष है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड एक सांसद भी हैं। वह 12 साल मंत्री रह चुकी हैं। इस तरह का माहौल और बातें बाहर आती हैं तो गलत हैं। जिस जगह पर खुद पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, वल्लभ भाई पटेल, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी बैठ चुके हैं… वहां की ऐसी दशा होना बेहद गलत है।” वर्षा गायकवाड के पहले भाई जगताप मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष थे।
यह हमारा आंतरिक मामला- वडेट्टीवार
दूसरी ओर संजय निरुपम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। संजय निरुपम पार्टी छोड़कर चले गए हैं, इसलिए उन्हें बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें अपने कार्यालय के बारे में सोचना चाहिए और दूसरों के बारे में सोचना बंद करना चाहिए। चापलूसी करके जो तरक़्क़ी मिली है, वे उस पर ध्यान दें और दूसरों की तरफ ध्यान न दें। हम देख लेंगे कि क्या करना है।