मिली जानकारी के अनुसार, नागपुर के दिघोरी इलाके में रहने वाले शख्स ने अपनी याचिका में दावा किया था कि एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी का एक अश्लील वीडियो इंटरनेट पर मौजूद है। पति ने दावा किया कि उसने खुद वह वीडियो देखा है और उसमें दिखने वाली महिला उसकी पत्नी ही है। इसलिए उसने सूचना प्रौद्योगिकी कानून (IT Act) की धारा 66अ, 67अ और 67ब के तहत पत्नी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी।
इस याचिका पर न्यायमूर्ति एम. डब्लू. चांदवानी की पीठ ने सुनवाई की। अपने निर्णय में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सका कि पत्नी ने खुद कथित अश्लील वीडियो को अपलोड किया है। इसलिए, आईटी एक्ट के तहत आरोप यह साबित नहीं होता है कि आरोपी पत्नी ने किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित की है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट कहा कि पति अपनी पत्नी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका है। तथ्यों और प्रमाणों के बिना केवल संदेह या भावना के आधार पर आपराधिक कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती।
गौरतलब है कि पति और पत्नी के बीच पहले से पारिवारिक विवाद चल रहा है। पत्नी अमरावती में अलग रह रही है। इससे पहले, पति ने प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पत्नी के खिलाफ बदनामी का दावा भी दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया था कि पत्नी ने उसे घर में गालियां दी है।
हालांकि, अदालत ने 6 फरवरी 2025 को यह दावा भी खारिज कर दिया और अपने फैसले में कहा कि उक्त घटना सार्वजनिक रूप से नहीं हुई, इसलिए यह बदनामी का मामला नहीं बनता। पति ने खुद यह नहीं बताया है कि किसी बाहरी व्यक्ति ने उसकी पत्नी द्वारा कथित दुर्व्यवहार की बात सुनी है। इसलिए इससे पति की बदनामी नहीं हुई।