रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोलापुर जिले में 11 लाख से अधिक महिलाएं मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना (Mukhyamantri Ladki Bahin Yojana) का लाभ ले रही हैं, लेकिन इस बार फरवरी महीने की राशि उनके खातों में जमा नहीं हुई है। इसके पीछे की वजह यह है कि सरकार लाभार्थियों की समीक्षा कर रही है।
बताया जा रहा है कि सोलापुर की साढ़े बारह हजार महिला लाभार्थियों की सूची महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने जिले के अधिकारियों को दी है और उसके मुताबिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उनके घर जाकर चार पहिया वाहनों का सत्यापन कर रही हैं। इस वजह से न केवल उन महिलाओं की किस्त रुकी है, जिनकी जांच की जानी है, बल्कि पूरे जिले की महिलाओं को भी फरवरी का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सरकार द्वारा महिला एवं बाल कल्याण विभाग को 12,500 महिलाओं की सूची सौंपी गई है, जिनके पास चार-पहिया वाहन होने की संभावना जताई गई है। अब इस सूची के आधार पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं घर-घर जाकर उनकी पड़ताल कर रही हैं। जब तक यह जांच पूरी नहीं होती, तब तक जिले की 11 लाख महिलाओं को आठवीं किस्त नहीं मिलेगी।
लाडली बहना योजना (लाडकी बहीण योजना) के लिए जिले में लाखों महिलाओं ने आंगनवाड़ी सेविकाओं की मदद से खुद आवेदन किए थे। 5.5 लाख महिलाओं ने अपने मोबाइल से आवेदन भरा था, जबकि 6.5 लाख महिलाओं ने वेबसाइट से ऑनलाइन आवेदन किया था। 1 जुलाई 2023 से उन्हें योजना का लाभ मिलना शुरू हुआ था, लेकिन अब विधानसभा चुनाव के बाद पात्रता की विस्तृत जांच शुरू होने से कई लाडली बहनों की चिंता बढ़ गई है।
हर महीने की 25 तारीख तक मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना का लाभ महिलाओं के खातों में पहुंच जाता था, लेकिन इस बार फरवरी खत्म हो गया और अभी तक उन्हें पैसा नहीं मिला। इसलिए कयास लगाये जा रहें हैं कि लाडली बहनों को मार्च में फरवरी और मार्च दोनों महीनों का लाभ कुल 3000 रुपये एक साथ दिया जाएगा। तब तक जिन महिलाओं के पास चारपहिया वाहन हैं, उनकी जांच भी पूरी हो जाएगी और उन्हें योजना से बाहर किया जाएगा।
इस बीच, जांच प्रक्रिया के चलते सोलापुर जिले में अब तक 52 महिलाओं ने खुद योजना का लाभ लेने से मना कर दिया है। उन्होंने ऑफलाइन आवेदन देकर सरकार से अनुरोध किया कि उनका नाम योजना से हटा दिया जाए। कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें अब अच्छी नौकरी मिल गई है या उनके पति की आय बढ़ गई है, इसलिए वे अब इस योजना की पात्र नहीं हैं। वहीं, कुछ महिलाओं ने कोई कारण नहीं बताया और सिर्फ योजना का लाभ बंद करने की गुजारिश की।
राज्य सरकार की इस सख्ती से यह साफ हो रहा है कि लाडकी बहीण योजना के पात्रता नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। योजना की लाभार्थियों में से 83 फीसदी विवाहित महिलाएं हैं, जबकि अविवाहित महिलाओं की संख्या 11.8 फीसदी है।