गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का सबसे ज्यादा कहर पुणे में दिख रहा है, जहां मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। अब तक जीबीएस के दर्ज मामले कुल 183 हो गए हैं, जबकि 28 मामले संदिग्ध बताए जा रहे हैं। जीबीएस संक्रमण से अब तक कुल 11 मौतें हुई हैं, जिनमें से 7 मौतें संदिग्ध हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जीबीएस के 42 मरीज पुणे नगर निगम से, 94 पुणे नगर निगम क्षेत्र, 32 पिंपरी चिंचवड, 33 पुणे ग्रामीण इलाके से और 10 अन्य जिलों से हैं। अब तक 144 मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, जबकि 36 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और 16 वेंटिलेटर पर हैं।
‘घबराने की जरूरत नहीं’
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने बताया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामलों में बढ़ोतरी से लोग चिंतित थे, लेकिन सरकार इसे नियंत्रित करने में सक्षम है। जीबीएस के मरीज पहले भी महाराष्ट्र में थे, लेकिन इस बार मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई। यह कोरोना जैसी महामारी नहीं है और यह कोरोना की तरह नहीं फैलता है। इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अधिकांश मरीज इलाज के बाद ठीक हो रहे हैं और अस्पताल से डिस्चार्ज भी किए जा चुके हैं। सोशल मीडिया पर जीबीएस को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि यह कोरोना की तरह फैल सकता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
जीबीएस से कैसे करें बचाव?
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। हाल ही में इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है। सभी जिला परिषदों को ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के सभी स्रोतों का रासायनिक और जैविक परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। जांच के बाद स्वच्छ एवं कीटाणुरहित पानी की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए कहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने लापरवाही बरतने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है। स्वास्थ्य विभाग ने जीबीएस से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है, जिसमें साफ पानी पीना (उबला हुआ या बोतल बंद पानी), खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं, चिकन और मांस को ठीक से पकाकर खाएं, कच्चे या अधपके खाने जैसे सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन का सेवन करने से बचें।