एनसीपी (अजित पवार) के वरिष्ठ नेता भुजबल ने बताया कि इस्लामपुर (Islampur Name Changed Ishwarpur) का नाम बदलने की मांग हिंदुत्ववादी संगठन और स्थानीय नागरिकों लंबे समय से कर रहे थे। वहीँ, सरकार के इस फैसले का विधायक सदाभाऊ खोत ने समर्थन करते हुए कहा कि वालवा तालुका और इस्लामपूर के लोगों की यह पुरानी मांग थी, जिसे अब सरकार ने पूरा किया है। उन्होंने इस बदलाव का स्वागत करते हुए स्थानीय नागरिकों को बधाई दी।
विपक्ष ने बोला हमला
भले ही सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि यह निर्णय नागरिकों की मांग और सांस्कृतिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। लेकिन इस निर्णय पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस विधायक असलम शेख ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस्लामपुर का नाम बदलिए, ईश्वरपुर रखिए, सब ठीक है… लेकिन साथ ही शहर के विकास पर भी ध्यान दीजिए। वहां पीने के पानी की सुविधा नहीं है, सड़कें खराब हैं, न बगीचे हैं न खेल के मैदान। लोग बदहाल हालत में रह रहे हैं। आखिर कब तक जनता को ऐसे नाम बदलकर बेवकूफ बनाते रहेंगे?” इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर किए जाने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रईस शेख ने कहा, “सिर्फ नाम बदलने से हालात नहीं बदलते, असली जरूरत वहां के विकास की है।” उन्होंने सत्ताधारी दल पर निशाना साधते हुए कहा,
“ये लोग हमेशा ऐसे मुद्दे उछालते रहते हैं, जबकि जनता को विकास चाहिए। हमारी मांग है कि सरकार बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दे और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाए।”
गौरतलब हो कि यह पहला मौका नहीं है जब महाराष्ट्र में किसी जगह का नाम बदला गया हो। इससे पहले औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव, अहमदनगर का नाम अहिल्यानगर रखा गया था। अब इसमें इस्लामपुर से ईश्वरपूर का नाम भी जुड़ गया है। फिलहाल नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया है, और अंतिम मुहर के बाद आधिकारिक बदलाव लागू होगा।