जानकारी के मुताबिक, मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती 53 साल के एक मरीज की जीबीएस सिंड्रोम वायरस से मौत हो गई। मरीज वडाला इलाके का रहने वाला था और बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में काम करता था। पिछले महीने वह पुणे गया था।
मृतक के परिवार के अनुसार, बीमार पड़ने से पहले उसने पिछले महीने एक दिन के लिए पुणे की यात्रा की थी। इसके बाद जीबीएस के प्रमुख लक्षण दिखने के बाद उन्हें 23 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीएमसी के अधिकारी अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इस मामले का और पुणे में जीबीएस के फैलने के बीच कोई संबंध है।
नायर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, वो काफी दिनों से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था। वहीं, नायर अस्पताल में एक नाबालिग लड़की भी भर्ती है, जिसे जीबीएस वायरस हुआ है। यह लड़की पालघर की रहने वाली है और 10वीं कक्षा की छात्रा है।
इससे पहले 9 फरवरी को भी जीबीएस सिंड्रोम वायरस की चपेट में आने से एक मरीज की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने बताया कि पुणे के एक 37 वर्षीय ड्राइवर की गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से मौत हुई। शरीर के निचले अंगों में कमजोरी की शिकायत के बाद मरीज को पुणे के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी को पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सात सदस्यीय टीम तैनात की। जीबीएस के प्रकोप के बीच 29 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन से मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने को कहा था।
यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है और शरीर के अंग सुन्न पड़ जाते हैं। इससे लकवा या कभी-कभी मौत भी हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दी कि सावधानियां बरतकर जीबीएस को कुछ हद तक रोका जा सकता है। जिसमें उबला हुआ पानी पीना, खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोना, चिकन और मांस को ठीक से पकाना, कच्चे या अधपके भोजन, विशेष रूप से सलाद, अंडे, कबाब या समुद्री भोजन से परहेज करना शामिल है।