संजय तुरडे मुंबई के कुर्ला के वार्ड क्रमांक 166 से नगरसेवक रह चुके हैं। वह मनसे के उन सात नगरसेवकों में शामिल थे जो 2017 में हुए बीएमसी चुनाव में विजयी हुए थे। हालांकि चुनाव के कुछ ही महीनों बाद मनसे के सात में से छह नगरसेवकों ने शिवसेना का दामन थाम लिया था। इस वजह से संजय तुरडे बीएमसी में मनसे के एकमात्र प्रतिनिधि रह गए थे।
इस वजह से छोड़ेंगे ‘इंजन’
मनसे छोड़ने की वजह बताते हुए तुरडे ने कहा कि उनके वार्ड में विकास कार्यों के लिए उन्हें पर्याप्त निधी नहीं मिल रही थी, जिसके चलते कई योजनाएं अधूरी रह गईं। शिंदे की शिवसेना में शामिल होने से उन्हें उम्मीद है कि ये अटके कार्य अगले कुछ महीनों में पूरे किए जा सकेंगे।
मनसे को झटका
बता दें कि 2012 में मनसे ने बीएमसी चुनाव में दमदार प्रदर्शन किया था। तब राज ठाकरे की पार्टी ने 28 सीटें जीतकर अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे ने नेतृत्व वाली शिवसेना के कई गढ़ों में सेंध लगाई थी। लेकिन 2017 के मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में पार्टी को बड़ा झटका लगा और मनसे के प्रत्याशी केवल सात सीटों पर ही जीत सके। उसके बाद से लगातार पार्टी का ग्राफ गिरता गया और अब पार्टी के एकमात्र पूर्व नगरसेवक के जाने के बाद शहर में मनसे का पुराना कोई प्रतिनिधित्व नहीं बचेगा। शिंदे गुट ने आगामी स्थानीय और नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर मुंबई ही नहीं, बल्कि राज्यभर के कई विपक्षी नेताओं को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। जिसके चलते ठाकरे भाईयों- उद्धव और राज के एक साथ आने की अटकलों के बीच कई जिलों में शिंदे की शिवसेना का प्रभाव और ताकत बढ़ रही है।