पुलिस के अनुसार, यह घटना मंगलवार को हुई। प्रिंसिपल ने कक्षा पांच से दस तक की कई छात्राओं को हॉल में बुलाकर बाथरूम में मिले खून के धब्बों की तस्वीरें दिखाईं। इसके बाद छात्राओं को मासिक धर्म के आधार पर दो समूहों में बांटा गया।
प्रिंसिपल ने उन छात्राओं की जांच करने का आदेश एक महिला प्यून को दिया, जिन्होंने कहा था कि वे मासिक धर्म में नहीं हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि प्यून ने 10 से 12 वर्ष की उम्र की लड़कियों के अंडरगारमेंट्स छूकर जांच की। इस दौरान एक छात्रा के सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करने की बात पता चली। जिसके बाद प्रिंसिपल ने उसे बाकी छात्राओं और स्टाफ के सामने अपमानित करते हुए डांटा।
इस घटना की जानकारी जब छात्राओं के जरिए उनके माता-पिता तक पहुंची तो उनमें भारी आक्रोश फैल गया। बुधवार को अभिभावकों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस ने इस मामले में स्कूल प्रिंसिपल, प्यून, दो शिक्षकों और दो ट्रस्टियों समेत कुल छह लोगों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें से प्रिंसिपल और चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य चार के खिलाफ जांच जारी है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल और एक चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अन्य के खिलाफ जांच चल रही है।