गौरतलब है कि सुनीता को मई महीने में पाकिस्तान से भारत वापस भेजा गया था, जिसके बाद उसे जासूसी के संदेह में हिरासत में लिया गया। पुलिस के अनुसार, वह 14 मई को पाकिस्तान में कथित रूप से घुस गई थी। इससे पहले वह नागपुर से 4 मई को अपने 13 वर्षीय बेटे के साथ निकली और कारगिल पहुंची थी। नियंत्रण रेखा (LoC) पार करने से पहले उसने अपने बेटे को एक होटल में छोड़ दिया था।
सुनीता की पाकिस्तान में घुसपैठ की घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। बताया जा रहा है कि कारगिल के हुंदरमन गांव से वह सीमा पार कर गई थी, जहां पाकिस्तानी सेना ने उसे हिरासत में लिया और बाद में भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि सुनीता की पाकिस्तान जाने से पहले दो पाकिस्तानी नागरिकों से बातचीत हुई थी, जिनके नाम जुल्फिकार और पास्टर बताए गए हैं। इन संदिग्ध संपर्कों को लेकर एजेंसियां अब उसके संभावित नेटवर्क और मकसद की जांच कर रही हैं।
इस मामले में पहले अमृतसर पुलिस ने ‘जीरो एफआईआर’ दर्ज की थी, जिसे अब नागपुर के कपिलनगर थाने में ट्रांसफर किया गया है। मामले की जांच के लिए कारगिल से एक टीम सोमवार रात नागपुर पहुंच चुकी है। हुंदरमन गांव केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है।
फिलहाल, पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या सुनीता के पीछे कोई संगठित नेटवर्क है, जिसने उसे पाकिस्तान भेजने में मदद की। मोबाइल एप्स, कॉल डिटेल्स और डिजिटल साक्ष्यों की गहराई से जांच की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद ही पूरे मामले की असली तस्वीर सामने आ सकेगी।