शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, “लाडकी बहिन योजना अब लगभग बंद हो चुकी है। पहले 1500 रुपये दिए जा रहे थे, अब केवल 500 रुपये रह गए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान कहा गया था कि 2100 रुपये दिए जाएंगे। अगर फंड कहीं और डाइवर्ट कर दिया गया है, तो इसमें नया क्या है? क्या एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने 1500 रुपये अपनी जेब से दिए थे? यह जनता का पैसा है… इस योजना को बंद ही कर दो, सिर्फ 500 रुपये देकर क्या आप कोई दान कर रहे हैं?”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि योजना के लिए आवंटित फंड को किसी अन्य विभाग से स्थानांतरित किया जा रहा है, तो उसमें नया क्या है? उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, हर मंत्री कह रहा है मेरा पैसा, मेरा पैसा, लेकिन इसमें किसी की जेब का पैसा नहीं है। यह सरकारी पैसा है।
हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि सात लाख करोड़ रुपये के बजट में से राज्य सरकार 3.5 लाख करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और कर्ज पर खर्च कर रही है, जबकि 65,000 करोड़ रुपये लाडली बहना योजना (लाडकी बहीण योजना) और किसानों के लिए बिजली माफी योजना पर खर्च किए जा रहे हैं।
परभणी में एनसीपी की एक बैठक में पवार ने राज्य सरकार के खर्चों के बारे में बात करते हुए कहा, सरकार किसानों के लिए बिजली बिल माफी योजना के तहत महाराष्ट्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) को 17,000 से 20,000 करोड़ रुपये दे रही है। जबकि एक साल में लाडकी बहिन योजना के लिए 45,000 करोड़ रुपये की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “राज्य का बजट परिव्यय 7 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से 3.5 लाख करोड़ रुपये वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने पर खर्च किए जाते हैं, जबकि 65,000 करोड़ रुपये उपरोक्त दो (लाडकी बहिन और बिल माफी) योजनाओं पर खर्च किए जाते हैं। राज्य का बजट परिव्यय 7 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से 4.15 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बाद बाकि पैसे राज्य के विकास कार्यों में खर्च किए जा रहे है।