जिले का नाम विद्यार्थी संख्या
जयपुर 341
झुंझनू 2206
सीकर 297
नागौर 662
ग्वालियर 9
जबलपुर 14
नेल्लोर 21
बाड़मेर 58 सर्वाधिक 2 हजार से ज्यादा बच्चे झुंझनू के
खुर्दबुर्द हुई राशि में सर्वाधिक बच्चों की संख्या प्रदेश के झु़ंझनू जिले से दर्शाई गई है। झुंझनू के सर्वाधिक 2206 बच्चों के नाम पर राशि की गड़बड़ी हुई है। दूसरे नंबर पर नागौर एवं तीसरे नंबर पर जयपुर रहा है।
ऐसे हुई गड़बड़ी
सूत्रों के अनुसार भुगतान फिलहाल अलवर ट्रेजरी से प्रारंभिक स्तर पर सामने आया है। इसमें विद्यार्थियों के पाठ्यक्रमों का परिवर्तन भी प्रावधानों के खिलाफ कर राशि बढ़वाई गई है। गड़बड़ी करने वालों ने जानबूझकर इन बच्चों के पाठ्यक्रम होटल मैनेजमेंट सरीखे कोर्स में कर किया। जबकि नियमानुसार डीएलओ स्तर पर अप्रूव होने के बाद भी पाठ्यक्रम का परिवर्तन नहीं हो सकता है, लेकिन इस मामले में ऐसा किया गया है। विद्यार्थियों के नाम पर ऐसे पाठ्यक्रम सेट कर दिए,जिसकी छात्रवृत्ति सबसे ज्यादा रहती है।
प्रारंभिक स्तर पर इनकी मान्यता भी संदेह के घेरे में
सूत्रों के अनुसार राज टैगोर इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट गुरुकुल कॉलेज कुचामन, गुरुकृपा कॉलेज पलाड़ा एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर कॉलेज पलाड़ा की सम्बद्धता अलग-अलग विश्वविद्यालयों से दशाई गई है, लेकिन इनको सम्बद्धता देने का कार्य एक ही एसएसओआई से दिया गया है। यदि मान्यता यानि की सम्बद्धता देने वाले संस्थान अलग-अलग हैं तो फिर एक एसएसओआई भी अलग-अलग होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। इनकी सम्बद्धता एक ही एसएसओआई आरजेएमआईयू 19960016189 से की गई है। इससे स्पष्ट है कि यह संस्थान संभवत: केवल कागजों में ही बने, और भुगतान कर दिया गया। इतनी बड़ी राशि का भुगतान होने के बाद प्रशासनिक सावधानियों का ध्यान भी नहीं रखा गया।
जांच के नाम पर खानापूर्ति
निदेशालय स्तर पर अतिरिक्त निदेशक छात्रवृति अशोक कुमार की ओर से जिलों के विभागीय अधिकारियों को गत 30 मई को पत्र जारी कर बैंकों से ऐसे भुगतान रुकवाने, खातों को फ्रीज कराने के संबंधी निर्देश जारी किए। हालांकि सूत्रों के अनुसार गडगड़़ी कुछ दिन पहले ही प्रकाश में आ गई थी, लेकिन निर्देश पत्र अब जारी किया। इसके साथ ही जयपुर ग्रामीण के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक जितेन्द्र कुमार सेठी की ओर से सदस्यीय कमेटी गठित कर 7 जून तक संस्थानों की मान्यता एवं विद्यार्थियों के वैधता की स्थिति की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। अब सवाल यह उठता है कि सूची तो गत वर्ष यानि की 2024 की है, इसके पहले के सूचियों की वास्तविक स्थिति क्या रही, प्रारंभिक स्तर पर क्या रहा, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।
इनका कहना है…
पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना में अनियमितता के संबंध में गड़बड़ी की कोई विशेष जानकारी मेरे पास नहीं हैै। इस संबंध में निदेशालय से मिले आदेश की पालना की जाएगी।
रामदयाल मांजू, उपनिदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नागौर