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नागौर

20 दिन पहले गृह विभाग को लिखे पत्र में मध्यप्रदेश का नाम नहीं होने से असमंजस!

मेड़ता सिटी. बलदेवराम पशु मेले में खरीदे गए गौवंश और इनको लेकर जा रहे पशुपालक, व्यापारियों के साथ जो हो रहा है, उससे एक स्थिति तो साफ है कि कहीं ना कहीं समन्वय की कमी खटक रही है।

नागौरApr 17, 2025 / 02:22 pm

Ravindra Mishra

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मेड़ता सिटी. मेला मैदान में गौवंश।

मेले के दुश्मन : तथाकथित गौरक्षकों की वजह से पशुपालक, व्यापारी परेशान

मेड़ता सिटी. बलदेवराम पशु मेले में खरीदे गए गौवंश और इनको लेकर जा रहे पशुपालक, व्यापारियों के साथ जो हो रहा है, उससे एक स्थिति तो साफ है कि कहीं ना कहीं समन्वय की कमी खटक रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि मेले से जाने वाले गाैवंश को लेकर गृह विभाग ने संबंधित जिलों व राज्यों के अधिकारियों को पत्र भी लिखा था, लेकिन फिर भी असमंजस की वजह से एमपी-राजस्थान की बॉर्डर पर नागौरी गौवंश अटका है और तथाकथित गौरक्षकों का उनके साथ बर्ताव धीरे-धीरे इस मेले आयोजन पर सवाल खड़े कर रहा है।
बलदेवराम पशु मेले में खरीदे गए गौवंश के परिवहन के दौरान राजस्थान सीमा पर मध्यप्रदेश पुलिस के लौटाने और जगह-जगह गौभक्तों के विरोध के बीच अभी भी तीन दिन से असमंजस बरकरार है। बांसवाड़ा में रोके गए गौवंश को वहां की गोशालाओं में सुरक्षित पहुंचाया गया है। वहीं एमपी प्रशासन मेले में खरीद की प्रमाणिकता को लेकर जो-जो कागजात मांग रहा है, वहां नागौर जिला कलक्टर के जरिए मेड़ता पशुपालन विभाग की ओर से मुहैया करवाए जा रहे हैं। इन सब के बीच, 20 दिन पहले गृह विभाग के संयुक्त शासन सचिव महेंद्र कुमार ने पुलिस महानिदेशक जयपुर को पत्र लिखकर बलदेव पशु मेले में दूसरे राज्यों के पशुपालकों की ओर से खरीदे गए गौवंश का सुरक्षित परिवहन को लेकर पत्र लिखा था। लेकिन उसमें एक छोटी से चूक करते हुए मध्यप्रदेश राज्य के नाम का हवाला नहीं होने और उसकी जगह उत्तरप्रदेश लिख दिए जाने से शायद यह असमंजस बन रहा है। पत्र में यूपी, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य के पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को इस बारे में लिखे जाने की पत्र में बात कही गई थी। लेकिन फिर भी यह स्थिति बनी हुई है।
दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, 150 किमी तक पीछा किया…फोन, नकदी छीनी

इस बीच मंगलवार रात को फटी शर्ट और बदहाल हालत में मेड़ता पहुंचे नागौर के एक ड्राइवर ने वहां अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि बहुत सारे लोगों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। यही नहीं, बड़ी संख्या में गौभक्तों ने 150 किमी तक पीछा किया और वाहनों पर पत्थर मारे। कई पशुपालक, व्यापारियों के फोन, नकदी छीन ली। जिस पर मेड़ता मेले के प्रभारी डॉ. सुमेरसिंह ने चालक को उसके घर तक भिजवाने में सहायता की।
यहां अटके है 318 गौवंश, 50 के करीब व्यापारी

बॉर्डर पर हो रहे इस बवाल के बीच यहां मेड़ता मेला मैदान में अभी भी जाने के इंतजार में 318 गौवंश अटका हुआ है। वहीं 50 के करीब व्यापारी भी मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। इनके समक्ष बैलों के चारे का संकट आने के साथ ही बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं जो बैल बिक्री नहीं उनको ले गए।
एमपी में खेती के काम आते हैं नागौरी बैल

मेड़ता से रवाना होने के बाद 12-13 घंटे में पशुपालक, व्यापारी अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। इस दरम्यान मजबूत कद-काठी का नागौरी बैल 48 घंटे तक एक जगह खड़ा रह सकता है। यहां से खरीदे जाने वाले बैलों से एमपी के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले भील जाति के लोग खेती करते हैं, क्योंकि वहां ट्रैक्टर नहीं चल सकते। बात यह भी सामने आ रही है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन के बाद एमपी में स्थिति तनावग्रस्त है और इस कारण से इन गाड़ियों को बॉर्डर पर रोका जाना बताया जा रहा है।
प्रयास जारी है…

अभी तक स्थिति वैसी ही है, लेकिन प्रयास जरूर जारी है। नागौर और एमपी प्रशासन का आपस में वार्तालाप चल रहा है। वहां पर हर एंगल से कागजातों की जांच कर रहे हैं। हमसे जो कागजात मंगवाए जा रहे हैं हम उपलब्ध करवा रहे हैं। 1-2 दिन में गौवंश के छुड़ने की संभावना है।
– डॉ. महेश कुमार मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग नागौर।

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