कोई वीर शिवजी बना तो गलियों में कहीं शंकर नजर आए, गूंजे गीत
–पुष्करणा समाज की महिलाओं ने भोलावनी पर्व मनाया-महिलाओं के कड़े पहरे के बीच देर रात्रि विधिपूर्वक पूजन कर गवर माता को किया विदानागौर. धींगा गवर का भोलावनी पर्व बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। पुष्करणा समाज समाज की महिलाओं ने लगातार 16 दिनों तक चले पूजन कार्यक्रम के पश्चात बुधवार को सूर्य को अध्र्य देने […]


–पुष्करणा समाज की महिलाओं ने भोलावनी पर्व मनाया
-महिलाओं के कड़े पहरे के बीच देर रात्रि विधिपूर्वक पूजन कर गवर माता को किया विदा
नागौर. धींगा गवर का भोलावनी पर्व बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। पुष्करणा समाज समाज की महिलाओं ने लगातार 16 दिनों तक चले पूजन कार्यक्रम के पश्चात बुधवार को सूर्य को अध्र्य देने के साथ ही मुख्य पूजन किया। इस दौरान पुष्करणा समाज का तेलीवाड़ा में नृत्य एवं गीत का रंगारंग कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में महिला एवं पुरुष मण्डल की ओर से अलग-अलग गायन के साथ नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी गई। इसके पश्चात शाम को तीजणियां शिव, पार्वती, वीर शिवाजी,वीर शंभा जी, पुलिस, राजा, रानी, श्रीनाथ जी, सेठ-सेठानी, गुजराती और मराठी पुरूष, राजस्थानी छैल व महिला का स्वांग धारण कर छड़ी के साथ देर रात्रि तक शहर के भीतरी भाग की गलियों में भ्रमण करती रही। तीजणिया नगर भ्रमण के दौरान शहर का माहौल धींगा गवर के रंग में रंगा रहा। गलियों में दरोगा, नगरसेठ एवं व्यसायी, भगवान कृष्ण एवं शंकर की वेषभूषा में बेत के साथ घूमती महिलाओं के भ्रमण से माहौल बदला नजर आया। मान्यता है कि इन महिलाओं की बेत से अविवाहितों का विवाह व बेरोजगारों को रोजगार मिलता है। इस लोभ में पुरुष वर्ग भी कई जगहों पर नजर आया। देर रात्रि में भोलवाणी की विधि शुरू हुई। इसके पश्चात 16 दिनों तक महिलाओं की विधिपूर्वक पूजन कर गवर माता को विदा करने की रस्म निभाई गई। इस रस्म के दौरान महिलाएं पूरी रास्ते पहरा देती नजर आई। ताकि कहीं गलती से कोई पुरुष वर्ग सामने न आ जाए। विसर्जन कार्यक्रम के दौरान पुरुषों का देखना निषेध रहता है।
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