जिला एवं तहसील स्तर पर खोलने होंगे कार्यालय बीमा कम्पनी उनको आवंटित किए गए जिले में योजना की जानकारी कृषकों को उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तरीय कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद कार्यालय में तथा तहसील स्तरीय कार्यालय सहायक निदेशक कृषि (विस्तार)सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय में स्थापित करेगी। साथ ही बीमा कम्पनी संबंधित संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद से 7 दिन में कार्यालय खोले जाने का सत्यापन करवाकर कृषि आयुक्तालय को प्रस्तुत करेगी। बीमा कम्पनी को जिला स्तर पर दो एवं प्रत्येक तहसील स्तर पर एक-एक बीमा कार्मिक की नियुक्ति करनी होगी। जिला स्तर कार्यालय पर नियुक्त एक अधिकारी की न्यूनतम योग्यता कृषि स्नातक होना अनिवार्य होगा।
इन स्थितियों में कवर होगा बीमा – फसल बीमा के तहत कम वर्षा अथवा प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों से बुआई नहीं होने की स्थिति (बाधित/निष्फल बुआई) – प्रमुख फसलों के लिए केवल खरीफ मौसम के लिए।
– खड़ी फसल (बुआई से कटाई तक) में सूखा, लम्बी सूखा अवधि, बाढ़, जलप्लावन, कीट एवं व्याधि, भू-स्खलन, बिजली गिरने से प्राकृतिक आग, तूफान, ओलावृष्टि और चक्रवात के कारण उपज में नुकसान के लिए व्यापक जोखिम बीमा (राज्य सरकार की ओर से संपादित फसल कटाई प्रयोगों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर)
– फसल कटाई उपरांत सूखने के लिए खेत में काटकर फैलाकर छोड़ी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, असामयिक वर्षा तथा ओलावृष्टि से व्यक्तिगत आधार पर हुए नुकसान के लिए कटाई उपरांत अधिकतम 14 दिन की अवधि के लिए।
– खरीफ एवं रबी के लिए समस्त अधिसूचित फसलों एवं जिलों के लिए जोखिम स्तर 80 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। व्यक्तिगत आधार पर ऐसे मिलेगा क्लेम फसल कटाई के बाद आगामी 14 दिनों तक खेत में सुखाने के लिए रखी गई अधिसूचित फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, बेमौसमी वर्षा, ओालावृष्टि से क्षति होने पर बीमित किसान व्यक्तिगत आधार पर बीमा क्लेम के लिए दावा कर सकता है।
– इस स्थिति में फसल की क्षति का आंकलन व्यक्तिगत बीमित फसल के कृषक के स्तर पर किए जाने का प्रावधान है। – प्रभावित बीमित फसल के कृषक को आपदा के 72 घंटे के अंदर सीधे भारत सरकार की ओर से संचालित कृषि रक्षक पोर्टल एवं हेल्पलाइन 14447 पर अथवा क्रॉप इंश्योरेंस ऐप अथवा लिखित में अपने बैंक या कृषि विभाग के अधिकारियों/जिला पदाधिकारियों के माध्यम से सूचित करना आवश्यक है।
– बीमा कम्पनी को समस्त क्षति सूचनाओं के लिए सर्वे किया जाना अनिवार्य होगा। क्षेत्र में इस संबंध में विपरीत परिस्थितियां होने की दशा में तत्समय ही प्रकरण जिला कलक्टर के संज्ञान में लाना होगा।
– बीमा कम्पनी को फसल की क्षति आंकलन के लिए विभाग की ओर से जारी पोस्ट हॉर्वेस्ट लोसेस की निर्धारित मानक प्रक्रिया की अनुपालना अनिवार्य रूप से की जाएगी। – यदि 72 घंटे में कृषक की ओर से पूर्ण सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जाती है तो वह कृषक सात दिन में पूर्ण सूचना निर्धारित प्रपत्र में संबंधित बीमा कम्पनी को आवश्यक रूप से उपलब्ध कराएगा, लेकिन 72 घंटे में सूचना देना अति आवश्यक है।
नागौर में इन फसलों का होगा बीमा नागौर (डीडवाना-कुचामन सहित) जिले में कुल 9 फसलों का बीमा किया जाएगा, जिसमें कपास, चंवला, मूंग, मूंगफली, ग्वार, मोठ, बाजरा, तिल व ज्वार को शामिल किया गया है। इन 9 फसलों में सबसे अधिक प्रीमियम राशि मूंगफली की 1,21,297 रुपए प्रति हैक्टेयर रखी है, जबकि सबसे कम ज्वार की 19,823 रुपए प्रति हैक्टेयर रखी है। मूंग की प्रीमियम राशि 46,702 रुपए प्रति हैक्टेयर है।