गौरतलब है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने सवा साल पहले विधानसभा में जानकारी दी कि प्रारंभिक शिक्षा विभागान्तर्गत राजकीय विद्यालयों में अध्यापक लेवल-2 के 14,473 तथा अध्यापक लेवल-1 के 14,598 पद रिक्त हैं। पिछले एक साल में कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए, जिसके चलते रिक्त पदों की संख्या और अधिक हो गई। प्रारंभिक शिक्षा के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के पद रिक्त होने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, इसके बावजूद न तो सरकार तबादले कर रही है और न ही शहरी क्षेत्र की स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को नियुक्ति दे रही है।
नागौर शहर की स्कूलों के हाल बुरे नागौर शहर में संचालित प्रारंभिक शिक्षा की आठवीं तक की सरकारी स्कूलों में आधे से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं। संबंधित संस्था से मिली जानकारी के अनुसार ज्यादातर स्कूलों में तीन या तीन से ज्यादा पद खाली हैं। इसके साथ शहर की प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सभी पुरुष शिक्षक बीएलओ की भूमिका निभा रहे हैं। जिन्हें सत्र में तीन से चार बार 15-15 दिन के लिए आधे दिन के लिए विद्यालय से फ्री करके मतदाता सूची अपटेड करने के काम में लगा दिया जाता है।
– हनुमान बाग सीबीईओ कार्यालय के पीछे की स्कूल राजकीय प्राथमिक विद्यालय संख्या 9 नागौर तो पिछले 6 वर्ष से शिक्षक विहिन चल रही है। यहां पर शिक्षण व्यवस्था से कोई शिक्षक लगा रखा है
– राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय महाराणा प्रताप कॉलोनी नागौर में ढाई सौ से ज्यादा बच्चों का नामांकन है, लेकिन यहां 11 में से छह पद रिक्त हैं। – राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या-10 बड़ली का रविवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पांचवीं से आठवीं में क्रमोन्नत होने पर उद्घाटन करेंगे, यहां भी शिक्षकों 8 में से 3 पद खाली हैं।
– उच्च प्राथमिक विद्यालय खत्रीपुरा में करीब 300 बच्चों का नामांकन है, लेकिन यहां चार पद खाली हैं। इससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। – संत बलरामदास उच्च प्राथमिक विद्यालय संख्या 2 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तीन पद रिक्त हैं।
6डी या तबादले हो तो भरे पद शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों का कहना है कि शहरी क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पद या तो 6डी से भरे जाते हैं या फिर तबादलों से। क्योंकि तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्ति जिला परिषदों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में दी जाती है। प्रदेश में वर्ष 2018 के बाद तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले ही नहीं हुए। न ही 6डी की प्रक्रिया पूरी हुई। कभी-कभार स्कूलों में अधिशेष शिक्षक हुए तो भी उन्हें शहरों की बजाए ग्रामीण क्षेत्र के ही स्कूलों में लगाया गया।
नामांकन घट गया, संस्था प्रधान परेशान सरकार एक ओर संस्था प्रधानों पर सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने का दबाव बना रही है, वहीं तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पद रिक्त होने से पिछले दो-तीन सालों में नामांकन बढऩे की बजाए घट रहा है। जिला मुख्यालय की कई स्कूलें ऐसी हैं, जिनमें नामांकन आधा रह गया है। ऐसे में संस्था प्रधान परेशान हैं। पिछले सालों में सरकार ने कम नामांकन वाली कई स्कूलों को बंद/मर्ज भी कर दिया है।
बिना शिक्षकों के खाली हो रही सरकारी स्कूलें शहरी क्षेत्र की प्रारंभिक शिक्षा की सरकारी स्कूलों में लम्बे समय से रिक्त तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पदों पर न नियुक्ति दी जा रही है और न ही सरकार तबादले कर रही है। ऐसे में शहरी क्षेत्र की स्कूलों में नामांकन तेजी से घट रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
– अर्जुनराम लोमरोड़, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत, नागौर