रेल परिवहन के लिहाज से नागौर जिले का मेड़ता रोड जंक्शन की अलग पहचान है। जबकि राजस्थान पथ परिवहन निगम की बस सेवा नजर तक नहीं आती। मेड़ता रोड सहित आस पास के गांवों के ग्रामीण मेड़ता रोड से संचालित ट्रेनों व निजी बसों में सफर करते हैं। नागौर, अजमेर, जोधपुर, जैतारण, बुटाटी, खींवसर, डेगाना, सीकर सहित अन्य स्थानों पर प्रतिदिन निजी बसों का आवागमन होता है। लेकिन रोड़वेज बस सेवा की कमी खलती है।
कस्बे से सीधे अजमेर, बीकानेर, नागौर, जयपुर, हरिद्वार तक बस संचालन हो सकता है। लेकिन रोड़वेज प्रबंधन की शिथिलता से आजादी के 78 साल बाद भी रोड़वेज सेवा से नागौर जिला मुख्यालय को नहीं जोडा गया है। हर केन्द्रीय व राज्य मंत्री, प्रतिनिधि से रोड़वेज बस संचालन की मांग की गई पर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।
ग्रामीण रामनिवास लटियाल, कैलाश चंद शर्मा, कमल शर्मा, रामेश्वर गहलोत, शिभू शर्मा, आदि ने बताया कि रोड़वेज बस संचालित कराने के लिए लंबे समय से मांग उठ रही है। जोधपुर- ओलादन के बीच एकमात्र बस चलती थी वह भी चार साल से बंद है। लोग निजी बसों में सफर कर मनमाना किराया अदा करने को मजबूर है। यहां से प्रतिदिन यात्री नागौर, जोधपुर, अजमेर, ब्यावर, पाली, जैतारण का सफर करते है।
धार्मिक व पर्यटन की दृषि से मेड़ता रोड़ महत्वपूर्ण कस्बा है। यहां प्राचीन ब्रह्माणी मन्दिर एवं जैन तीर्थ भगवान पार्श्वनाथ मन्दिर है। भक्तशिरोमणी मींरा बाई का मन्दिर मेड़ता सिटी, धार्मिक नगरी पुष्कर, भंवाल माता, पावणी नाड़ी लाबा जाटान, बुटाटी धाम सहित अन्य स्थानो पर देशी-विदेशी पर्यटक आते है, जो रेल से यहां पहुंचते हैं, फिर निजी बसों व निजी वाहनों से विभिन्न स्थानों को जाते है। रोडवेज बस चले तो काफी राजस्व मिल सकता है।