1926 आरोपियों को किया गिरफ्तार एक जनवरी 2018 से 30 जून 2024 तक प्रदेश में मेडिकेटिड नशे के व्यापार में लिप्त 1926 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 966 प्रकरण हुए दर्ज किए गए हैं। सबसे अधिक 364 प्रकरण श्रीगंगानगर में दर्ज कर 696 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इसी प्रकार हनुमानगढ़ में 201 प्रकरण दर्ज कर 396 आरोपियों को गिरफ्तार किया तथा अनूपगढ़ में 166 प्रकरण दर्ज कर 366 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। नागौर जिले में 10 प्रकरण दर्ज कर 20 जनों को गिरफ्तार किया गया। पाली जिले में भी 48 मामले दर्ज कर 102 जनों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं दूसरी तरफ कई जिले ऐसे भी हैं, जहां एक भी प्रकरण दर्ज नहीं किया गया।
रोकथाम के लिए सख्ती की आवश्यकता मेडिकेटिड नशे के उपयोग एवं तस्करी पर नियंत्रण के लिए पुलिस एवं चिकित्सा विभाग को सख्ती दिखाने की आवश्यकता है। ढुलमुल नीति के कारण दुकानों पर खुलेआम नशेडिय़ों को नशीली दवाइयां मिल जाती हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी औपचारिकता के तौर पर कार्रवाई करके इतिश्री कर लेते हैं, जिसका खमियाजा समाज को भुगतना पड़ रहा है। औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी कार्रवाई की जानकारी न तो मीडिया को देते हैं और नही सीएमएओ को। इसको देखते हुए अब खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने आदेश जारी कर ड्रग संबंधी कार्रवाई की सूचना सीएमएचओ को देने के निर्देश दिए हैं।
कलक्टर को हर माह करनी होती है बैठक मेडिकेटिड नशे के उपयोग एवं तस्करी पर नियंत्रण के लिए नीति निर्माण के साथ-साथ धरातल पर भी उन नीतियों को प्रभावी रूप से लागू किए जाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से सभी ड्रग लॉ एनफोर्समेन्ट एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नारको कोर्डिनेशन सेन्टर तंत्र का गठन किया हुआ है। इसके तहत जिला स्तरीय कमेटी की बैठक जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में प्रतिमाह एवं राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रत्येक तीन माह में आयोजित कर मादक पदार्थों के उपयोग एवं तस्करी पर नियंत्रण तथा प्रभावी कार्रवाई के निर्देश प्रदान किए जाते हैं।
सरकार ने बजट में घोषणा, नहीं दिखा ज्यादा असर मेडिकेटिड नशे की रोकथाम के लिए राजस्थान सरकार ने 12 अप्रेल 2023 को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में स्पेशल टास्क फोर्स (एंटी ड्रग्स) एवं राज्य में 9 एंटी नारकोटिक्स यूनिट के गठन के लिए वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी। वर्ष 2024-25 के बजट में भी नशे के अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन के लिए घोषणा की गई। इसके बावजूद पिछले एक साल में प्रदेश में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की विशेष कार्रवाई नहीं दिखी।
पकड़ में आने पर करते हैं कार्रवाई जिले में दवाइयों की दुकानों पर बिकने वाली नशीली दवाइयों की रोकथाम के लिए ड्रग इंस्पेक्टर समय-समय पर जांच करते हैं। अनियमितता पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी की जाती है। कोई भी दुकानदार नशे की दवाइयां बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं दे सकता। यदि कोई देता तो जांच में पकड़ में आने पर उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।
– डॉ. जेके सैनी, सीएमएचओ, नागौर नियमित हो रही है बैठक मेडिकेटिड नशे के उपयोग एवं तस्करी पर नियंत्रण के लिए गठित जिला स्तरीय कमेटी की बैठक नियमित रूप से हो रही है।बैठक में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने के बाद पालना रिपोर्ट भी मांगी जा रही है। नागौर में एमडी व नशीली दवाइयां बेचने के प्रकरण ज्यादा हैं, जिन पर अंकुश लगाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
– अरुण कुमार पुरोहित, जिला कलक्टर, नागौर