Nagaur patrika…बहुप्रतीक्षित अहिछत्रपुर आवासीय कॉलोनी योजना विकसित करने का रास्ता साफ
-जोधपुर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता सत्यनारायण की याचिका की खारिज-आवासीय योजना में 20 प्रतिशत की ई- नीलामी व 80 प्रतिशत की लाटरी प्रक्रिया कराई जाएगीनागौर. बहुप्रतीक्षित अहिछत्रपुर आवासीय कॉलोनी योजना को विकसित करने का रास्ता अब साफ हो गया। इस पर लगा स्टे शुक्रवार को जोधपुर उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया गया। सुनवाई के […]
-जोधपुर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता सत्यनारायण की याचिका की खारिज
-आवासीय योजना में 20 प्रतिशत की ई- नीलामी व 80 प्रतिशत की लाटरी प्रक्रिया कराई जाएगी
नागौर. बहुप्रतीक्षित अहिछत्रपुर आवासीय कॉलोनी योजना को विकसित करने का रास्ता अब साफ हो गया। इस पर लगा स्टे शुक्रवार को जोधपुर उच्च न्यायालय में खारिज कर दिया गया। सुनवाई के दौरान सम्पूर्ण पत्रावली के अवलोकन पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता सत्य नारायण व बाबूलाल ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की और परिणामस्वरुप दोनों याचिकाएं खारिज करते हुए कॉस्ट लगा दी। प्रतिवादी नगर पालिका, नागौर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य व अधिवक्ता चयन बोथरा ने पक्ष रखते हुए न्यायालय का ध्यान दायर याचिकाओं की तरफ आकर्षित करते हुए अवगत कराया की याचिकाकर्ता सत्य नारायण की ओर से पूर्व में भी समान तथ्यों और कानूनी आधारों पर रिट याचिका दायर की गई थी जो कि न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी थी। इस क्रम में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता सत्य नारायण की शह पर बाबूलाल द्वारा भी समान तथ्यों और कानूनी आधारों पर एकल पीठ के समक्ष याचिका दायर की गई थी।
नगरपरिषद को मिलेगा राजस्व, माली हालत में सुधार
स्टे खारिज होने से करीब एक हजार लोगों के घरौदों के अटके सपने का रास्ता हाईकोर्ट ने साफ कर दिया। नगरपरिषद इस आवासीय योजना के तहत लोगों को भूखण्डों का आवंटन कर सकेगी। इससे न केवल लोगों का अपना घर बनाने का सपना साकार हो सकेगा, बल्कि इससे होने वाले राजस्व आय से शहर के विकास का पहिया भी तेज रफ्तार से दौड़ सकेगा। कुल 150 बीघा भूमि में आवासीय भूखण्ड योजना के तहत इसमें 20 प्रतिशत की नीलामी होनी है। नीलामी की प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त होने के पश्चात फिर आवासीय कॉलोनी योजना के भूखण्डों की लाटरी निकाली जाएगी। इस दौरान परिषद की ओर से यहां पर बिजली, पानी, सीवरेज, सडक़ आदि सुविधाओं का विकास किया जाएगा। ताकि आमजन को कोई दिक्कत न हो सके। अब फिर इस पूरी कॉलोनी को विकसित करने के लिए यहां पर सडक़ों, पार्कों एवं धार्मिक स्थलों के निर्माण के साथ ही विभिन्न श्रेणियों के भूखण्डों के लाटरी प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इससे परिषद को अरबों का राजस्व भी प्राप्त होगा। इससे माना जा रहा है कि नगरपरिषद की माली हालत में खासा सुधार आ सकेगा।
सभापति के प्रयास रंग लाए
हाईकोर्ट की ओर से स्टे खारिज होने के फैसले की प्रति आने के बाद नगरपरिषद ने राहत की सांस ली है। हालांकि यह मामला लगभग तीन साल से अटका हुआ था। बजट घोषणा में नगरपरिषद भी ने अहिछात्रपुर आवासीय योजना का जिक्र किया था। मामला न्यायिक प्रक्रिया के तहत लंबी होने की वजह से इस पर सवालिया निशान लगने लगा था। इसके बाद सभापति मीतू बोथरा की ओर से प्रकरण के निस्तारण के लिए प्रयास किए गए। ताकि मामला निस्तारित होने के बाद लोगों के घरौंदे बनाने का सपना साकार हो सके। प्रयास का सुखद परिणाम सामने आया और अब नगरपरिषद की ओर से आवासीय येाजना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा। नगर परिषद नागौर की ओर से आवंटित किस्म अनुसार व नागौर मास्टर प्लान के अनुरूप नगर नियोजन विभाग से अनुमोदित योजना के अनुसार आवासीय योजना विकसित करने के प्रयास को अब और ज्यादा गति मिल सकेगी।
पूर्व में भी खारिज हुआ स्टे
विगत आठ मार्च वर्ष 2019 में तत्कालीन कलक्टर ने नगरपरिषद को वर्तमान खसरा नंबर 1762/73 की 150 बीघा भूमि का हस्तांतरण नागौर नगरपरिषद केा कर दिया था। नगरपरिषद की ओर से 40 गुणा पूंजीगत राशि देकर यह जमीन प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसके बाद वर्ष 2020 में तत्कालीन सभापति रहे कृृपाराम सोलंकी के कार्यकाल में अहिछत्रपुर आवासीय कॉलोनी योजना का प्रारूप बनाकर नगरपरिषद की ओर से नगर नियोजक अजमेर को भेज दिया गया था। वहां से आवासीय योजना को स्वीकृति दे दी गई। इस दौरान वर्ष 2021 में बाकल माता मंदिर क्षेत्र में रहने वाले सत्यनारायण ने हाईकोर्ट जोधपुर में पीएलआई लगा दी। इसमें कहा गया कि गोचर जमीन का इस तरह से इस्तेमाल करना सुसंगत नहीं है। गोचर की जमीन लेने पर उतनी ही भूमि गोचर में देनी पड़ती है। इस संबंध में नगरपरिषद की ओर से हाईकोर्ट में यह तर्क दिया गया था कि पंचायतीराज एक्ट नगरीय सीमा में लागू नहीं किया जा सकता है। यह भी बताया गया कि इसके साथ ही इसी खसरे में केन्द्रीय, विद्यालय एवं हाउसिंग बोर्ड आदि का हवाला देते हुए कहा कि इनका भी निर्माण किया गया है। नगरपालिका सीमा में स्थित भूमि अथवा नगर पालिका को हंस्तान्तरण भूमि कि किस्म को चारागाह नही कहा जा सकता तथा नगर पालिका सीमा में चारागाह भूमि रखने की कोई आवश्यकता नही है। मामले की सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया गया था। इसके बाद दोबारा फिरा याचिका लगी तो अब स्थिति को पूरी स्पष्ट करते हुए उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी भी कर दी।
इनका कहना है…
अहिछत्रपुर कॉलोनी पर लगी रोक न्यायालय की ओर से हटाने से शहर के रूके विकास कार्यों को अब गति मिलेगी। इस संबंध में प्रक्रिया शुरू करने के लिए आयुक्त को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं।
मीतू बोथरा, सभापति नगरपरिषद नागौर
अहिछत्रपुर आवासीय योजना को विकसित करने के लिए जल्द ही आवश्यक प्रक्रियाएं शुरू कर दी जाएगी।
रामरतन चौधरी, आयुक्त नगरपरिषद नागौर
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