बताया जा रहा है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों पर कुल 1.18 करोड़ रुपये का इनाम था, जिनमें से 11 माओवादियों की टीम में सीनियर लेवल पर सूचीबद्ध थे।
पोडियम भीमा ने भी किया सरेंडर
गिरफ्तार होने वाले समूह में पोडियम भीमा उर्फ लोकेश भी शामिल था, जो डिवीजनल समिति का सदस्य था। भीमा पर 2012 में सुकमा के पहले कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण की साजिश रचने का भी आरोप था। यह आत्मसमर्पण बस्तर में माओवादियों के गढ़ के लिए एक बड़ा झटका है, जहां सघन अभियानों के कारण हाई-प्रोफाइल मुठभेड़ें और दलबदल की बढ़ती लहर दोनों हुई हैं।
क्या बोले मुख्यमंत्री?
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने एक्स हैंडल पर कहा कि बस्तर एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि गोलियों की गूंज अब धीमी पड़ रही है और उसकी जगह लोकतंत्र की स्थिर आवाज ने ले ली है, जो अब पूरे क्षेत्र में गूंज रही है। बता दें कि नारायणपुर में पहले हुए आत्मसमर्पणों को मिलाकर, पिछले 24 घंटों में ही 45 उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता त्याग दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि
पिछले 15 महीनों में 1,521 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं, जो शांति और समृद्धि का प्रमाण है। बदलाव की इस लहर को राज्य की अद्यतन 2025 आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से भी बल मिला है।
भीमा पर था 8 लाख रुपये का इनाम
बता दें कि खूंखार नक्सली डीवीसीएम लोकेश उर्फ पोडियम भीमा पर 8 लाख रुपये का इनाम था। वह दक्षिण सब-जोनल ब्यूरो टीम का कमांडर भी है। वह 2012 में कलेक्टर के अपहरण, 2017 में बुरकापाल हमले और 2021 में टेकलगुड़ा मुठभेड़ में शामिल था। इन दोनों घटनाओं में 46 जवान शहीद हुए थे। उसने अलग-अलग घटनाओं में शामिल होकर अन्य जवानों की भी हत्या की है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में रमेश उर्फ कमलू, सीसीएम और माओवादी माडवी हिडमा का सुरक्षा गार्ड है, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम है।
इसके अलावा, माडवी जोगा भी सरेंडर कर चुका है, जो बीएनपीसी राजे उर्फ राजक्का का रक्षक है। नुप्पो लाचू एसजेडसीएम (राज्य क्षेत्रीय समिति सदस्य) सन्नू दादा का रक्षक है।
माओवादी संगठनों के बारे में कर सकते हैं और खुलासे
अब, पुलिस का मानना है कि उन्होंने बड़े नक्सलियों के साथ काम किया है, इसलिए वे माओवादी संगठन के बारे में बड़े खुलासे कर सकते हैं। इस समूह में एक डीवीसीएम (डिवीजनल कमेटी सदस्य), छह पीपुल्स पार्टी कमेटी सदस्य, चार एरिया कमेटी सदस्य और 12 निचले स्तर के पार्टी सदस्य शामिल थे। इन पर 8 लाख रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का इनाम रखा गया था, जो अलग अलग विद्रोही गतिविधियों में शामिल रहे। पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 में सक्रिय थे, जिसे माओवादियों की सबसे मजबूत सैन्य शाखा माना जाता है। हथियार डालने का उनका फैसला कथित तौर पर माओवादी विचारधारा से मोहभंग, आंतरिक गुटबाजी और आदिवासी समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के कारण लिया गया था।
माओवादियों ने सीआरपीएफ के डीआईजी (उप महानिरीक्षक) आनंद सिंह राजपुरोहित और सैयद मोहम्मद हबीब असगर तथा सुकमा एसपी किरण चवन की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक माओवादी को तत्काल सहायता के रूप में 50,000 रुपये दिए गए।
अब मिलेगी यह सुविधा
वहीं, अब सरकार की नीति के तहत उनका पुनर्वास किया जाएगा, जिसमें आवास, शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा मिलेगी। इस समूह में रमेश उर्फ कलमू केसा, कवासी मासा, प्रवीण उर्फ संजीव उर्फ मड़कम हुंगा, नुप्पो गंगी और पुनेम देवे शामिल हैं, जिन्हें पीपीसीएम या प्लाटून कंपनी कमांडर नियुक्त किया गया था। पीएलजीए के पारस्की पांडे और माडवी जोगा सहित अन्य माओवादियों ने भी आत्मसमर्पण किया, जिन पर समान इनाम घोषित था। सूची में नुप्पो लच्छू उर्फ लक्ष्मण का नाम भी शामिल है। पोडियाम सुखराम, पीएलजीए बटालियन नंबर 1 के सदस्य हैं।