Ahmedabad Plane Crash: क्या होता है Black Box? जिससे अहमदाबाद प्लेन हादसे के कारणों का लगेगा पता
Plane Black Box: ब्लैक बॉक्स का निर्माण इतना मजबूत होता है कि यह 1100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान, 6000 मीटर की समुद्री गहराई, और भारी झटकों को सहन कर सकता है।
अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान हुआ क्रैश (Photo- X)
Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को एक दुखद हादसा हुआ। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद मेघानी नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में 242 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे। हालांकि अभी तक हादसे के कारणों का पता नहीं चल पाया है। दरअसल, विमान के क्रैश होने पर जांचकर्ता अक्सर ‘ब्लैक बॉक्स’ की तलाश करते हैं। इसलिए अब यह जानना जरूरी हो जाता है कि ‘ब्लैक बॉक्स’ क्या है?
ब्लैक बॉक्स, जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) के रूप में भी जाना जाता है, विमान का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह दो अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बनता है। FDR विमान की तकनीकी जानकारी, जैसे गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति, और ईंधन स्तर को रिकॉर्ड करता है।
वहीं, CVR कॉकपिट में पायलटों और को-पायलट के बीच होने वाली बातचीत, अलार्म की आवाज, और अन्य ध्वनियों को दर्ज करता है। ये दोनों उपकरण मिलकर हादसे से पहले की हर गतिविधि का ब्योरा प्रदान करते हैं, जिससे जांचकर्ता यह समझ सकते हैं कि हादसा तकनीकी खराबी, मानवीय त्रुटि, या किसी बाहरी कारण से हुआ।
#WATCH | Air India Plane Crash | Ahmedabad, Gujarat: Latest visuals from the AI-171 crash site, where the London-bound Air India flight crashed, show the extent of damage.
ब्लैक बॉक्स का निर्माण इतना मजबूत होता है कि यह 1100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान, 6000 मीटर की समुद्री गहराई, और भारी झटकों को सहन कर सकता है। इसका चमकीला नारंगी रंग इसे मलबे में आसानी से ढूंढने में मदद करता है। इसके अलावा, ब्लैक बॉक्स 30 दिनों तक सिग्नल भेजता रहता है, जिससे इसे खोजने में सुविधा होती है। अहमदाबाद हादसे में भी बचाव दल ब्लैक बॉक्स की तलाश में जुटा है, क्योंकि यह हादसे के कारणों को समझने की कुंजी है।
#WATCH | Ahmedabad Plane Crash | The latest visuals from the mess of the doctors' hostel show half-eaten and untouched plates of food and the extent of damage. The ill-fated London-bound Air India flight crashed in this hostel. pic.twitter.com/pstng9Odkc
बता दें कि जांच प्रक्रिया में ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। FDR से मिलने वाली तकनीकी जानकारी से यह पता चलता है कि विमान की उड़ान के दौरान क्या-क्या हुआ। उदाहरण के लिए, अगर इंजन में खराबी थी, तो यह डेटा में स्पष्ट होगा। वहीं, CVR से पायलटों की बातचीत और कॉकपिट की स्थिति का पता चलता है।
अहमदाबाद हादसे में पायलट ने क्रैश से पहले मेडे कॉल (आपातकालीन सिग्नल) भेजा था, जिससे संकेत मिलता है कि उन्हें किसी गंभीर समस्या का अंदाजा था। ब्लैक बॉक्स इस कॉल के पीछे की परिस्थितियों को स्पष्ट कर सकता है।
1950 के दशक से हुआ शुरू
ब्लैक बॉक्स का इतिहास 1950 के दशक से शुरू हुआ, जब हवाई हादसों के कारणों का पता लगाने के लिए एक विश्वसनीय उपकरण की जरूरत महसूस हुई। तब से यह हर विमान का अनिवार्य हिस्सा बन गया है। इस हादसे की जांच में डीजीसीए और अन्य एजेंसियां ब्लैक बॉक्स के डेटा का गहन विश्लेषण करेंगी।
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