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Ambedkar Jayanti: संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़ी पांच अनसुनी बातें

Baba Saheb Jayanti: भारत के संविधान निर्माता, चिंतक, समाज सुधारक बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के मऊ में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी 5 अनसुनी बातें।

भारतApr 13, 2025 / 03:37 pm

Devika Chatraj

Bhimrao Ramji Ambedkar: भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रणेता थे। अंबेडकर जयंती, जो 14 अप्रैल को मनाई जाती है, उनके जीवन, संघर्ष और योगदान को याद करने का अवसर है। दलितों और वंचितों के उत्थान के लिए उनका कार्य, शिक्षा और समानता पर उनका जोर आज भी प्रेरणा देता है। आइए, उनके जीवन से जुड़ी पांच महत्वपूर्ण बातों पर नजर डालें।

कौन है भीमराव अंबेडकर?

डॉ. भीमराव अंबेडकर 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे, उन्होंने छुआछूत और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। शिक्षा में पीएचडी और बैरिस्टर की उपाधि हासिल करने वाले अंबेडकर ने दलितों व वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए काम किया और बौद्ध धर्म अपनाकर समानता का संदेश दिया। 1956 में उनका निधन हुआ, और उन्हें 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

अंबेडकर की शिक्षा

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने असाधारण शैक्षिक उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतारा और मुंबई में पूरी की, जहां सामाजिक भेदभाव का सामना करते हुए भी वे उत्कृष्ट रहे। 1912 में, उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बीए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से 1915 में एमए और 1917 में पीएचडी पूरी की। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ग्रे’स इन में पढ़ाई कर 1920 और 1923 में डीएससी और बैरिस्टर की उपाधियां हासिल कीं। उनकी शिक्षा ने सामाजिक सुधार और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया

डॉ. अंबेडकर से जुड़ी पांच अनसुनी बातें

पहले भारतीय पत्रकार के रूप में: अंबेडकर ने 1920 में “मूकनायक” नामक समाचार पत्र शुरू किया, जो दलितों और वंचितों की आवाज बना। यह उनकी पत्रकारिता में पहली पहल थी।
पानी के अधिकार का आंदोलन: 1927 में महाड सत्याग्रह का नेतृत्व कर अंबेडकर ने दलितों को सार्वजनिक चवदार तालाब से पानी लेने का अधिकार दिलाया, जो सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम था।
वैदिक संस्कृत का अध्ययन: अंबेडकर ने वैदिक ग्रंथों और संस्कृत का गहन अध्ययन किया था, ताकि वे हिंदू धर्म की सामाजिक संरचना को बेहतर समझ सकें और उसकी आलोचना कर सकें।

22 प्रतिज्ञाओं का निर्माण: 1956 में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद, अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएं बनाईं, जो सामाजिक कुरीतियों को त्यागने और नैतिक जीवन जीने पर जोर देती हैं।
रिजर्व बैंक की स्थापना में योगदान: एक अर्थशास्त्री के रूप में, अंबेडकर की किताब “रुपये की समस्या” और उनके मौद्रिक नीति संबंधी विचारों ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना (1935) में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाला।

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