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आतंक के खिलाफ भारत का इन एशियाई देशों ने दिया साथ, जयशंकर ने कहा- अब PM मोदी के साथ कई मुद्दों पर होगी चर्चा

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की मध्य एशियाई देशों ने खुलकर निंदा की और भारत का साथ दिया।

भारतJun 06, 2025 / 09:26 pm

Shaitan Prajapat

विदेश मंत्री एस.जयशंकर (Photo- IANS)

नई दिल्ली में चौथी भारत-मध्य एशिया (India Central Asia Dialogue) वार्ता शुरु हुई है। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (Indian Foreign minister Dr. S jaishankar) ने कजाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मूरत नर्टलेउ, तुर्कमेनिस्तान के मंत्रियों के कैबिनेट उपाध्यक्ष और विदेश मंत्री राशिद मेरेदोव, ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन, किर्गिस्तान के विदेश मंत्री झीनबेक कुलुबाएव और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री बख्तियार सैदोव का स्वागत किया। पांचों देशों के विदेश मंत्री भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से भी मुलाकात करेंगे।

मध्य एशियाई देशों ने दिया भारत का साथ: जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की मध्य एशियाई देशों ने खुलकर निंदा की और भारत का साथ दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस बात की सराहना करता हूं कि मध्य एशियाई देश भारत के साथ खड़े रहे और पहलगाम में अप्रैल में हुए जघन्य आतंकवादी हमले की निंदा की।
जयशंकर ने कहा- भारत का मध्य एशिया के साथ सदियों पुराना दोस्ताना संबंध रहा है। हम सदियों पुरानी संस्कृति और सोहार्दपूर्ण समकालीन राजनियक संबंधों का आनंद ले रहे हैं। भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच आर्थिक व सांस्कृति साझेदारी बड़े पैमाने पर बढ़ रही है। जयशंकर ने कहा कि भारत-मध्य एशिया द्विपक्षीय व्यापार 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। हमें आज इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
मध्य एशिया भारतीय फार्मा उद्योग के लिए बड़ा बाजार है। यूरेनियम, कच्चा तेल, गैस, खनन, कोयला और उर्वरकों के लिए मध्य एशिया भारत के लिए मुख्य साझेदार हो सकता है। भारत अपने मध्य एशियाई भागीदारों के साथ आधार, डिजीलॉकर जैसे प्लेटफार्मों में भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इससे उन देशों में जाने वाले भारतीय टूरिस्टों व छात्रों को मदद मिलेगी।

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

इस डायलॉग मीटिंग में व्यापार और संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और वैश्विक चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श होगा। यह बैठक न सिर्फ भारत के पड़ोस में, बल्कि ‘एक्सटेंडेड नेबरहुड’ यानी विस्तारित पड़ोस में भी उसकी मजबूत पकड़ को दिखा रही है।
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2019 में हुई थी भारत-मध्य एशिया की शुरुआत

उज्बेकिस्तान के समरकंद में जनवरी 2019 में भारत-मध्य एशिया वार्ता की शुरुआत हुई थी। दूसरी बैठक अक्टूबर 2020 में वर्चुअल रूप से हुई। इस बैठक में रीजनल सिक्योरिटी, आतंकवाद विरोधी और बुनियादी ढांचे के विकास पर चर्चा हुई। तीसरी बैठक दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में हुई थी। इस बैठक में भारत और मध्य एशिया के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया।
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भारत के लिए क्यों अहम है मध्य एशिया

भारत के लिए आर्थिक व रणनीतिक रूप से मध्य एशिया बेहद महत्वपूर्ण है। मध्य एशिया, एशिया और यूरोप के बीच में पुल का काम करता है। यह क्षेत्र पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, एंटीमनी, एल्युमिनियम, सोना, चांदी, कोयला और यूरेनियम जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जोकि भारतीय बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अहम है।

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