राज्यपाल बोस ने मालदा में राहत शिविरों में पीड़ितों से मुलाकात की और वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों से दंगा नियंत्रण उपायों पर भी चर्चा की। राजभवन के अनुसार, बोस का यह दौरा हिंसा की सच्चाई को सामने लाने के लिए है। गुरुवार को कुछ विस्थापित परिवारों को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार राजभवन लाए थे, जहां उनकी राज्यपाल से मुलाकात हुई।
नहीं माना ममता बनर्जी का अनुरोध
ममता बनर्जी ने राज्यपाल से दौरा टालने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा, “शांति बहाल हो चुकी है, लेकिन प्रशासन अभी जनता का विश्वास जीतने में जुटा है। मैं चाहती तो जा सकती थी, लेकिन सही समय पर जाऊंगी। मैं राज्यपाल और अन्य से कुछ दिन इंतजार करने का अनुरोध करती हूं।” बावजूद इसके, बोस ने दौरा करने का फैसला किया। बीजेपी ने अमित शाह को बुलाया
इधर, बीजेपी ने अमित शाह के दौरे की योजना बनाई है। एक बीजेपी नेता ने कहा, “हमने गृह मंत्री से बंगाल आकर ममता के आरोपों का जवाब देने का अनुरोध किया है। हमें उम्मीद है कि वह जल्द आएंगे और मुर्शिदाबाद हिंसा की सच्चाई जनता के सामने लाएंगे।” हालांकि, शाह के दौरे की तारीख और जगह अभी तय नहीं हुई है। बीजेपी चाहती है कि शाह का दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे से पहले हो, जो इस महीने नदिया के रानाघाट में गेल के एक कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। बीजेपी का मानना है कि शाह पहले स्थिति स्पष्ट करें और फिर मोदी उनके रुख की पुष्टि करें, तो ममता पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।
राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष भी पहुंचीं मालदा
इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहतकर और आयोग की एक जांच समिति शुक्रवार को मालदा पहुंची। आयोग ने वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया और जांच के लिए एक पैनल गठित किया। बंगाल की यह हिंसा न केवल प्रशासनिक, बल्कि सियासी दृष्टिकोण से भी चर्चा का केंद्र बन चुकी है। ममता के आरोपों, राज्यपाल के दौरे और बीजेपी की रणनीति ने राज्य के सियासी माहौल को और गर्मा दिया है।