नया तरीका और प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने वोटर आईडी कार्ड की डिलीवरी को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू की है। मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: रियल-टाइम ट्रैकिंग: वोटर कार्ड बनने से लेकर डाक विभाग के जरिए घर पहुंचने तक की हर प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सकेगा। एसएमएस अलर्ट: आवेदक को हर चरण की जानकारी एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी, ताकि उन्हें कार्ड की स्थिति का पता चलता रहे। डाक विभाग के साथ API इंटीग्रेशन: ECINet प्लेटफॉर्म के जरिए डाक विभाग से सीधे कनेक्शन सुनिश्चित करेगा कि कार्ड तेजी से डिलीवर हो।
ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन: वोटर हेल्पलाइन ऐप या चुनाव आयोग की वेबसाइट (nvsp.in) के जरिए फॉर्म-6 भरकर नए कार्ड के लिए आवेदन किया जा सकता है। पुराने कार्ड में संशोधन के लिए फॉर्म-8 और नाम हटाने के लिए फॉर्म-7 भरा जा सकता है।
जरूरी दस्तावेज
पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि। पते का प्रमाण: बिजली बिल, राशन कार्ड, किरायानामा आदि। उम्र का प्रमाण: जन्म प्रमाणपत्र, 10वीं की मार्कशीट आदि। हाल की पासपोर्ट साइज फोटो। बिहार चुनाव के लिए समयसीमा बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या संशोधन के लिए आवेदन चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से 10 दिन पहले तक स्वीकार किए जाएंगे। इसके बाद केवल पते के बदलाव से संबंधित आवेदनों पर कार्रवाई होगी, और अन्य आवेदन चुनाव के बाद प्रोसेस किए जाएंगे।
वोटर लिस्ट में नाम चेक करें
मतदाता अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक करने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट (ceoelection.bihar.gov.in) या वोटर हेल्पलाइन ऐप का उपयोग कर सकते हैं। यदि नाम नहीं मिलता, तो टोल-फ्री नंबर 1950 या 1800111950 पर संपर्क किया जा सकता है।
चुनाव आयोग की अन्य पहल
ई-वोटिंग की शुरुआत: बिहार देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां चुनिंदा नगर पंचायत और नगरपालिका उपचुनावों में मोबाइल फोन के जरिए इ-वोटिंग की सुविधा शुरू होगी। बूथों की संख्या में वृद्धि: प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 कर दी गई है, जिससे बूथों की संख्या 77,895 से बढ़कर लगभग 92,000 हो जाएगी। वोटर सूची का सरलीकरण: मृत मतदाताओं के नाम हटाने, बीएलओ को डिजिटल आईडी जारी करने, और मतदाता सूचना पर्चियों को अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
विपक्ष का आरोप
कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि चुनाव आयोग ने वोटिंग के डिजिटल रिकॉर्ड्स को 1 साल की बजाय 45 दिनों तक स्टोर करने का फैसला किया है, जिसे वे “चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर” की साजिश मान रहे हैं। हालांकि, इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।