12,768 वोट से चुके थे तेजस्वी
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े बेहद दिलचस्प थे। सुबह से शाम तक आंकड़े बदलते रहे। कांटे की टक्कर के बीच NDA को जीत मिली। दोनों गठबंधन के बीच जीत का अंतर महज 12,768 वोटों का रहा। NDA को बिहार चुनाव (2020) में 1 करोड़ 57 लाख 1 हज़ार 226 वोट मिले, महागठबंधन के खाते में 1 करोड़ 56 लाख 88 हज़ार 458 वोट आए। मत प्रतिशत की बात करें तो नीतीश की अगुवाई वाली NDA को 37.26 फीसदी वोट मिले, जबकि तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली महागठबंधन को 37.23 फीसदी वोट मिले। मत फीसदी का अंतर महज 0.03 फीसदी रहा।
राजद बनी सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी
तेजस्वी सीएम बनने से तो चूक गए, लेकिन उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल 2020 के चुनाव में बिहार में सबसे अधिक सीटें (75) जीतने में कामयाब रही। भाजपा (BJP) के खाते में 74 सीटें आई, नीतीश (Nitish) की जदयू (JDU) 43 सीटों पर सिमट गई। NDA के खाते में 125 और महागठबंधन को 110 सीटें आई। बिहार विधानसभा चुनाव: नीतीश के बिना बनेगी सरकार, महागठंधन खुश, जनसुराज का क्या होगा? राजद का बढ़ा था वोट शेयर
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद का वोट शेयर बढ़ा था। राजद को साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 23.11 फीसदी वोट मिले, जबकि साल 2015 में राजद को 18.35 फीसदी वोट मिले थे। जबकि, भाजपा और जदयू का वोट शेयर घटा था। भाजपा को 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में 19.46 प्रतिशत ही वोट मिले, जदयू के खाते में 15.42 प्रतिशत वोट आया। कांग्रेस (Congress) का वोट शेयर 9 फीसदी के करीब रहा। वाममोर्चा (Left Parties) लगभग 2 फीसदी वोट लाने में कामयाब रहा। लोजपा को 5.69 फीसदी वोट मिले।
वोट शेयर बढ़ाने में जुटी RJD
बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को पटखनी देने के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अभी से राजनीतिक समीकरण साधने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उन्होंने मंगली लाल मंडल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मंगली लाल मंडल धानुक समाज से आते हैं। माना जा रहा है कि लालू ने नीतीश के अतिपिछड़ा वोट बैंक में सेंधमारी के लिए मंगली लाल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। किस ओर करवट लेगी बिहार की दलित सियासत, मांझी-चिराग में खींचतान, राजद-कांग्रेस का क्या है प्लान? कौन हैं मंगनी लाल मंडल
मंगनी लाल मंडल समाजवादी नेताओं में शुमार किए जाते रहे हैं। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ पिछड़ी-अति पिछड़ी जाति की राजनीति की है। वह लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के रणनीतिकार भी रहे हैं। मंडल आंदोलन से उभर कर आए मंगनी लाल मंडल 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 2004 से 2009 तक वे राजद से राज्यसभा सांसद रहे। इसके बाद 2009 से 2014 तक वे जदयू से लोकसभा सांसद बने। 2024 में जब उन्हें जदयू ने उम्मीदवार नहीं बनाया गया, तो वे नाराज हो गए। उन्होंने जदयू छोड़ दी। फिर 6 जनवरी 2025 को राजद से जुड़ गए।
लोकसभा में कुशवाहा वोट में लगाई थी सेंध
लालू यादव ने लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोट में जबरदस्त सेंध लगाई थी। राजद नेतृत्व ने कुशवाहा और वैश्य समाज को साध कर NDA को शाहाबाद इलाके में शून्य पर समेट दिया था। राजद ने जदयू के लव-कुश फॉर्मूले को ध्वस्त कर दिया था।
सहनी को है डिप्टी सीएम बनने की चाहत
सूबे की सियासत में विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की महत्वकांंक्षा जगजाहिर है। वह बिहार का डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं। सहनी कहते हैं कि VIP के पास एकमुश्त 14 फीसदी मल्लाह वोट है, दूसरे दलों का मानना है कि बिहार में मल्लाह वोट 7 फीसदी है। जबकि जातीय सर्वे में मल्लाह की संख्या कुल 2.6 फीसदी बताई गई है। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ऐन वक्त पर मुकेश सहनी ने पाला बदल लिया था और महागठबंधन से हट गए थे। फिर NDA में जा मिले। जातीय सर्वे के हिसाब से भी देखें तो मल्लाह वोटर आगामी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं।