नवेंदु ने दिया इस्तीफा
नवेंदु ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, “मैंने पूरे समर्पण के साथ JDU के लिए काम किया, लेकिन कुछ समय से मेरी बातों को अनसुना किया जा रहा था। मैं अपने समर्थकों और क्षेत्र की जनता के हित में यह कठिन फैसला ले रहा हूं।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में वह अपने अगले कदम पर विचार करेंगे, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि वह किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं या स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं।
JDU की प्रतिक्रिया
JDU के प्रवक्ता ने नवेंदु के इस्तीफे को व्यक्तिगत फैसला करार देते हुए कहा, “पार्टी में सभी नेताओं को सम्मान और अवसर दिया जाता है। नवीश जी का फैसला उनका निजी निर्णय है। JDU एक मजबूत संगठन है, और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।” हालांकि, पार्टी के भीतर इस इस्तीफे से हलचल मच गई है, क्योंकि नवेंदु का एक निश्चित जनाधार और प्रभाव माना जाता है।
सियासी मायने
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे समय में JDU के लिए यह इस्तीफा नुकसानदेह साबित हो सकता है। नीतीश कुमार पहले ही विपक्षी दलों RJD और कांग्रेस के हमलों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, NDA गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और रणनीति को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवेंदु का इस्तीफा JDU के लिए एक चेतावनी हो सकता है, क्योंकि पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं की संख्या बढ़ सकती है।
नवेंदु का राजनीतिक सफर
नवीश कुमार नवेंदु लंबे समय से JDU के साथ जुड़े रहे हैं और स्थानीय स्तर पर उनकी सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया और क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पहचान बनाई। उनका इस्तीफा JDU के लिए उस क्षेत्र में नुकसान पहुंचा सकता है, जहां उनका प्रभाव है।