पहले कब-कब हुआ वोटर लिस्ट रिवीजन
बता दें कि देश के सभी या कुछ जगहों पर चुनाव आयोग द्वारा गहन पुनरीक्षण किया गया है। यह चुनाव आयोग द्वारा 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004 में किया गया। बता दें कि गहन पुनरीक्षण का अर्थ है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत, घर-घर जाकर सत्यापन के माध्यम से मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार करने से है।
2003 की SIR को वेबसाइट पर किया अपलोड
इससे पहले कभी भी चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में बने रहने के लिए मौजूदा मतदाताओं से दस्तावेज प्रमाण प्रस्तुत करने को नहीं कहा था। इलेक्शन कमीशन ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित 2003 की एसआईआर को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इस पहल के बाद अब 4.96 करोड़ मतदाताओं को दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे मतदाताओं के माता-पिता का नाम अगर सूची में है, तो उन्हें कोई अन्य संबंधित दस्तावेज नहीं देना होगा।
ईआरओ घरों का करते थे दौरा
बता दें कि पहले वोटर लिस्ट के गहन संशोधनों में ईआरओ 18 साल या उससे अधिक आयु के सभी लोगों का विवरण दर्ज करने के लिए घरों का दौरा करते थे।
विपक्ष ने लगाए आरोप
विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया मनमानी और दुर्भावनापूर्ण है, जिसका उद्देश्य गरीब, वंचित, दलित और पिछड़े समुदायों के मताधिकार को छीनना है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह दावा किया गया है कि 24 जून 2025 के आदेश के तहत बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण से बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित होने का खतरा है, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। विपक्ष का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग ने अपनी पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन नहीं किया।
वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर बिहार बंद
बिहार में बुधवार को विपक्षी महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के विरोध में राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम, रेल सेवाएं बाधित कीं, टायर जलाए। पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।