आर्थिक स्थिति और रोजगार में सुधार की उम्मीद नहीं
आज संसद के बजट सत्र की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि इस बजट से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। उन्होंने कहा कि देश में विनिर्माण में गिरावट आई है और जीडीपी भी कम हो रही है, जो आर्थिक संकट को और गहरा करता है। साथ ही, घरेलू खपत भी नहीं बढ़ी है और करों में वृद्धि हो रही है। उनका यह भी कहना था कि जो आंकड़े आर्थिक रिपोर्ट में दिए गए हैं, वे विश्वसनीय नहीं लगते। उनके अनुसार, सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए विकास के आंकड़े और नीतियां जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई हैं, जिसके कारण आम लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ है।
वक्फ बोर्ड पर जेपीसी के मुद्दे को उठाएंगे विपक्षी नेता
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हमेशा गरीबों को ही लक्ष्य बनाता है, जबकि व्यापारी वर्ग इस बजट से बहुत प्रभावित हुआ है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रही है। मसूद ने कहा कि वक्फ पर जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) सरकार का एजेंडा है, जो कि केवल एक राजनैतिक चाल है। उनका कहना था कि यह मामला मुसलमानों के अधिकारों को प्रभावित करने वाला है और सरकार इसे जबरन संसद में पेश करने की कोशिश कर रही है।
संविधान, आर्थिक स्थिति और मणिपुर जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की मांग
विपक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024, संविधान, आर्थिक स्थिति, रोजगार, मणिपुर के संकट, और रुपये में गिरावट जैसे मुद्दों पर संसद सत्र में चर्चा की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार इन अहम मुद्दों पर कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है, और इन मुद्दों पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। मणिपुर में बढ़ते हुए हिंसा के मुद्दे पर भी विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा है, साथ ही रुपये की गिरावट और देश के आर्थिक संकट को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
सरकार की योजनाओं पर विपक्ष का हमला
विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने पहले भी गरीबों और किसानों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की, लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का प्रभाव कम ही देखने को मिला है। इसके अलावा, बढ़ते हुए करों, बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता को लेकर भी विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और अन्य विपक्षी दलों ने इस बजट सत्र में इन महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने का संकल्प लिया है। विपक्ष का एकजुट रुख
विपक्षी दलों का यह भी कहना है कि यदि सरकार इन मुद्दों पर गंभीर नहीं होती है, तो संसद में तीव्र विरोध होगा। उनका उद्देश्य यह है कि सरकार को अपनी नीतियों पर पुनः विचार करना चाहिए और आम जनता के हित में फैसले लेने चाहिए। बजट सत्र के दौरान इन मुद्दों पर संसद में बहस होनी तय है, और विपक्ष इस सत्र को सरकार के खिलाफ एकजुट होकर सदन में प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की तैयारी में है।
बजट 2025 को लेकर विपक्ष का रुख कड़ा है, और वह इसे केवल एक वित्तीय योजना के रूप में नहीं, बल्कि गरीबों और कमजोर वर्गों के भविष्य से जुड़ा एक अहम सवाल मान रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार विपक्ष के आरोपों का कैसे जवाब देती है और बजट में किन खास कदमों की घोषणा करती है। विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों के मद्देनजर यह सत्र और भी रोचक हो सकता है।