जयराम उर्फ चलपति कौन था?
सुरक्षा बलों ने नक्सली सेंट्रल कमेटी के 61 वर्षीय सदस्य जयराम उर्फ चलपति को भी मार गिराया। जयराम उर्फ चलपति नक्सलियों के लिए बनाई गई सेंट्रल कमेटी मेम्बर और ओडिशा राज्य कमेटी का सदस्य था। वह अपने पास AK-47 रखता था। बता दें कि जयराम पर एक करोड़ का इनाम था। यह मूलरूप से चिंतूर, आंध्र प्रदेश का निवासी था। लाठी के सहारे से चलने वाले जयराम को बस्तर में प्रताप रेड्डी के नाम से जाना जाता था। इसके अलावा, ओड़िशा में जयराम की चलपति के नाम से पहचान थी। प्रताप रेड्डी के पिता का नाम शिवलिंगा रेड्डी था। इसकी पत्नी का नाम अरूणा 24 वर्ष है। जानकारी के अनुसार यह अपने पास मोबाइल, रेडियो, टैबलेट रखता था। जयराम को शुगर और BP की बीमारी थी। बता दें कि प्रताप रेड्डी जनवरी 2021 को ओडिशा से छत्तीसगढ़ आया था।
जयराम उर्फ चलपति का हुलिया
छत्तीसगढ़ मुठभेड़ में मारे गए नक्सली हेड जयराम उर्फ चलपति का पुलिस ने हुलिया बताया है। जानकारी के अनुसार- कद- 5 फीट 8 इंच रंग- सफेद चेहरा- गोल दांत- हल्का पीला/काला शरीर- हट्टा-कट्टा पहनावा- ज्यादातर लुंगी पहनता है।, सामान्य वेशभूषा इसके अलावा, आंखों में चश्मा पहनता था। दो लाठी लेकर चलता था। जानकारी के अनुसार उसकी कमर में दिक्कत थी जिस वजह से ज्यादा पैदल चल नहीं पाता था। वह गाेंडी, छत्तीसगढ़ी, हिन्दी, तेलगू और ओडिशा भाषा जानता था।
AK-47 गन से लैस रहते थे गार्ड
ओडिशा कैडर के सीसी सदस्य जयराम को छत्तीसगढ़ में मार गिराया गया है। बता दें कि सीसी सदस्य की हत्या नक्सल ऑपरेशन में पहली बड़ी घटना है। जयराम ऊर्फ चलपति ने माओवादियों के लिए रणनीति बनाने और अभियानों का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चलपति की सुरक्षा में 9 निजी गार्ड शामिल थे। इसके सुरक्षा गार्ड में कुल 04 पुरूष और 05 महिलाएं शामिल थे। महिला गार्ड में अमीला, छोटी, नानी ऊर्फ दीपना और रीना नाम की महिलाएं शामिल थी। यह सब बस्तर क्षेत्र के निवासी हैं। ये गार्ड महिलाएं AK-47 रखती थी। सभी महिला गार्ड ACS पद पर काम करते थे। जानकारी के अनुसार महिला गार्ड नानी ऊर्फ दीपना बॉकीटॉकी रखती थी। इसके अलावा गार्ड सुखराम स्कैनर रखता था।
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2024 में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की ओर से 200 से अधिक माओवादियों को मार गिराया गया। पिछले साल मारे गए 219 माओवादियों में से 217 बस्तर क्षेत्र से थे। इसमें बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और सुकमा जिले शामिल हैं। 800 से अधिक माओवादियों को गिरफ्तार भी किया गया, जबकि लगभग 802 ने हथियार डाल दिये। वर्ष 2024 में माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में लगभग 18 सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई, जबकि माओवादी हिंसा में 65 नागरिक मारे गए।