मुगलकालीन धरोहर से जुड़ी है शालीमार बाग
दिल्ली की शालीमार बाग मुगलकालीन धरोहर से जुड़ी हुई है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी जीत हासिल कर दिल्ली की सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज होने की योजना बना रही है। बीजेपी की बात करें तो यह पार्टी लंबे समय से चल रहे सत्ता से बाहर रहने के दौर को खत्म करना चाहेगी। कांग्रेस ने अभी तक इस सीट पर खाता नहीं खोला है।
शाालीमार बाग का इतिहास
इस सीट का इतिहास मुगलों से जुड़ा हुआ है। मुगल सम्राट शाहजहां की पत्नी इज़-उन-निसा ने 1653 में इसकी नींव रखी थी। पहले इसका नाम ऐजाबाद बाग रखा गया था। बाद में इस बाग का रूप बदल गया और अब यह स्थान वीरान हो चुका है, लेकिन यहां आज भी छायादार पेड़, सुंदर पार्क और शीश महल जैसी संरचनाएं देखने को मिलती है। दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है शालीमार बाग
इस सीट को दिल्ली के पुराने इलाकों में गिनना जाता है और यह दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से एक है। यह उत्तर पश्चिम दिल्ली के अंतर्गत आती है। शालीमार बाग राजधानी की महत्वपूर्ण और हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार होती है। पहले यह सीट बाहरी दिल्ली विधानसभा का हिस्सा थी, लेकिन 2008 में इसे चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के तहत शामिल किया गया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा इस सीट से विधायक रह चुके हैं। इस सीट से आप अपनी जीत की हैट्रिक बना चुकी है और अब लगातार चौथी बार जीत दर्ज करना चाहती है।
पिछले चुनावों पर एक नजर
साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी ने बीजेपी उम्मीदवार रेखा गुप्ता को हराकर शालीमार बाग सीट पर कब्जा किया। बंदना कुमारी को 57,707 वोट मिले, वहीं रेखा गुप्ता के खाते में 54,267 वोट आए। कांग्रेस पार्टी के जेएस नायोल को सिर्फ 2,491 मत मिले। इससे पहले 2015 की बात करें तो बंदना कुमारी ने 62,656 वोट से जीत दर्ज की थी। बंदना ने भाजपा की रेखा गुप्ता को हराया था। कांग्रेस के सुलेख अग्रवाल 3,200 वोट के साथ तीसरे नंबर रही।
शालीमार बाग सीट पर AAP का दबदबा
साल 2013 में भी शालीमार बाग सीट पर आप की बंदना कुमारी ने भाजपा के राजेंद्र नाथ बंसल को हराया था। इस चुनाव में बंदना को 47,235 वोट भाजपा के रविंद्र नाथ बंसल को 36,584 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के नरेश कुमार गुप्ता 15, 659 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।