भारत में लगातार आ रहे भूकंप के झटके
पिछले कुछ महीनों से भारत की धरती बार-बार कांप रही है। कभी दिल्ली की ऊंची इमारतें हिल रही हैं, तो कभी पूर्वोत्तर के पहाड़ों में कंपन हो रहा है। मणिपुर का यह ताजा भूकंप इस श्रृंखला की एक और कड़ी है। जनवरी 2025 से अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में छोटे-बड़े भूकंपों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह सिलसिला सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि धरती के भीतर चल रही हलचल का नतीजा है। तो आखिर क्यों हिल रही है भारत की जमीन? पिछले कुछ दिनों में आए बड़े भूकंप: एक नजर
- 17 फरवरी 2025: दिल्ली-एनसीआर में सुबह 5:37 बजे 4.0 तीव्रता का भूकंप। इसका केंद्र धौला कुआँ के पास था, और गहराई सिर्फ 5 किलोमीटर। ऊँची इमारतें हिलीं, और लोग डर से घरों से बाहर निकल आए।
- 16 फरवरी 2025: तिब्बत में 3.5 से 4.5 तीव्रता के चार भूकंप, जिनके झटके अरुणाचल प्रदेश तक महसूस हुए।
- 28 फरवरी 2025: बिहार में सुबह 8:02 बजे 4.0 तीव्रता का भूकंप। पटना और आसपास के इलाकों में दहशत फैली।
- 3 मार्च 2025: बंगाल की खाड़ी में 4.4 तीव्रता का भूकंप, जिसकी गहराई 70 किलोमीटर थी। यह समुद्री क्षेत्र में था, इसलिए ज्यादा असर नहीं हुआ।
- 5 मार्च 2025: मणिपुर का याइरीपोक भूकंप, 5.6 तीव्रता के साथ, जो आज की ताजा घटना है।
क्या है कारण?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, भारत की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप के लिए संवेदनशील बनाती है। हमारा देश भारतीय टेक्टोनिक प्लेट पर बसा है, जो हर साल करीब 4-5 सेंटीमीटर की रफ्तार से उत्तर की ओर यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसक रही है। यह टक्कर हिमालय जैसे विशाल पर्वतों को जन्म देती है, लेकिन इसके साथ ही भूकंपीय ऊर्जा भी जमा करती है। जब यह ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है, तो भूकंप आते हैं। पूर्वोत्तर भारत, जिसमें मणिपुर भी शामिल है, इस टक्कर के सबसे सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। यहाँ कई फॉल्ट लाइनें हैं—जैसे मेन सेंट्रल थ्रस्ट और कोपिली फॉल्ट—जो बार-बार सक्रिय होती हैं। मणिपुर का याइरीपोक भी इसी भूकंपीय जोन-5 में आता है, जो देश का सबसे खतरनाक क्षेत्र माना जाता है।
इसके अलावा, मानवीय गतिविधियां भी भूकंप को ट्रिगर कर सकती हैं। बड़े बांधों का निर्माण, खनन, और भूजल का अत्यधिक दोहन धरती के नीचे दबाव बदल सकता है। हालाँकि, मणिपुर के इस भूकंप का कारण प्राकृतिक टेक्टोनिक हलचल ही माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे-मोटे झटके ऊर्जा को धीरे-धीरे रिलीज करते हैं, जो बड़े भूकंप की आशंका को कम कर सकते हैं। लेकिन अगर यह ऊर्जा लंबे समय तक जमा होती रही, तो नतीजा विनाशकारी हो सकता है।