क्या जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने के कॉलेजियम के फैसले ने इस मामले को हवा दी है?
हरीश साल्वे : मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घटना से तबादले का कोई लेना-देना नहीं है। यह सच हो सकता है या सच नहीं भी। सुबह से हमने जो कुछ भी सुना है, उस पर विश्वास करना मुश्किल है। उनका तबादला निलंबित कर जांच का आदेश दिया जाए।
उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में ही काम करते रहना चाहिए?
हरीश साल्वे : मुझे यकीन है कि वह कुछ दिन की छुट्टी लेंगे। सुप्रीम कोर्ट को मामले में जांच का आदेश देना चाहिए। और मैं एक क्रांतिकारी सुझाव दे रहा हूं, जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट को तीन सदस्यीय जांच समिति बनानी चाहिए जिसमें एक न्यायाधीश और दो बाहरी लोग शामिल हों। आरोप सच हुए तो क्या होना चाहिए?
हरीश साल्वे : क्या उनके घर से कोई पैसा
(Justice Yashwant Verma) बरामद हुआ था? फायर चीफ का कहना है कि कोई पैसा बरामद नहीं हुआ। अगर उनके घर से वाकई पैसा बरामद हुआ था, तो समिति उन्हें दोषी पाएगी… और फिर देश का कानून अपना काम करेगा। लेकिन, अगर आरोप सच नहीं हैं, तो इन रिपोर्टों को किसने प्लांट किया, इसकी पूरी तरह से जांच की जरूरत है।
अगर आरोप सच हुए तो क्या होगा?
हरीश साल्वे : मुझे यकीन है कि अगर स्वतंत्र जांच में उन पर आरोप साबित होते हैं तो वह इस्तीफा दे देंगे। मैंने कभी किसी हाई कोर्ट जज के घर से नकदी बरामद होने की इतनी बदसूरत कहानी नहीं सुनी है।
जज नियुक्ति प्रक्रिया पर बहस फिर शुरू होगी?
हरीश साल्वे : बिल्कुल। इस तरह की घटनाएं एक चेतावनी की घंटी हैं कि आज जो व्यवस्था है वह बेकार है। आज 1960, 70 और 80 का दशक नहीं है, जब खबर आने में कई-कई सप्ताह लग जाते थे। सोशल मीडिया का युग है। 15 मिनट में वीडियो हो जाते हैं। दुनिया जानती है कि 15 मिनट पहले आपके घर में क्या हुआ था। खबर वायरल हो जाती है। इसलिए हमें इससे निपटना होगा।
जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद भेजने का विरोध क्या उचित है?
हरीश साल्वे : अगर आरोप सही हैं, तो तबादला गलत है। अगर वह दिल्ली हाई कोर्ट में जज बनने के लायक नहीं है, तो इलाहाबाद में कैसे रहने लायक है?