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Himachal Pradesh: सड़क-पुल तो बह गए… अब आने-जाने का बस एक ही सहारा, संकट की घड़ी में काम आई सरकार की नई तरकीब

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। कई सड़कों के ब्लॉक होने से आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है, जिससे घाटियों में फंसे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच एक राहत भरी खबर भी सामने आई है।

शिमलाJul 11, 2025 / 10:47 am

Mukul Kumar

हिमाचल में बाढ़ से तबाही। फोटो- एएनआई

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Flood Condition) में भारी बारिश और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। बाढ़ की वजह से कई सड़कें ब्लॉक (Road Block In Himachal) हो गईं हैं। आवागमन पूरी तरह से ठप्प हो गया है। रोड ब्लॉक होने की वजह से बाढ़ ग्रस्त घाटियों में लोगों को आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, एक राहत भरी खबर भी सामने आई है।

बाढ़ के कारण बह गए पुल और सड़क

दरअसल, बाढ़ में अधिकांश सड़कें और पुल बह गए हैं। ऐसे में माता बगलामुखी रोपवे मंडी जिले के पंडोह क्षेत्र की जीवन रेखा बन गया है।

सरकार मंडी जिले के सेराज विधानसभा क्षेत्र की सभी 12 पंचायतों के लोगों को मुफ्त रोपवे परिवहन प्रदान कर रही है, ताकि संकट के दौरान निरंतर संपर्क और सहायता सुनिश्चित की जा सके।
आरटीडीसी (रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के रेजिडेंट मैनेजर कुश वैद्य ने कहा कि मंडी जिले में रोपवे अचानक आई बाढ़ से प्रभावित निवासियों के लिए परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

5 हजार से अधिक लोग कर रहे रोपवे का इस्तेमाल

हाल के दिनों में 5,000 से अधिक लोग इस सेवा का उपयोग कर रहे हैं। वैद्य ने कहा कि यह सुविधा पहले केवल दो पंचायतों के लिए मुफ्त थी, अब उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के निर्देश पर सेराज विधानसभा की सभी 12 पंचायतों के लिए निःशुल्क उपलब्ध है। हालांकि, यह रोपवे केवल 750 मीटर लंबा है, यह निवासियों को क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण 12 किलोमीटर की कठिन यात्रा से बचने में मदद करता है।
सराज निवासी भूप सिंह ने कहा कि इस रोपवे ने हमारी बहुत मदद की है। अगर यह हमारे पास नहीं होता, तो हम पूरी तरह से असहाय हो जाते। इस भीषण आपदा के बाद, हमारी सभी सड़कें और रास्ते बह गए हैं, जिससे वाहनों और पैदल आवाजाही पर भी रोक लग गई है। पुल भी बह गए हैं।
जयराम ठाकुर की बदौलत ही यह रोपवे बना है और यह इस कठिन समय में हमारी मदद कर रहा है। हम इसका उपयोग अपनी पीठ पर आवश्यक वस्तुओं और आपूर्ति को ढोने के लिए कर रहे हैं। इस आपदा के दौरान यह एक बड़ी राहत है।

अब तक 91 लोगों की गई जान

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में मानसून की शुरुआत के बाद से भारी तबाही देखी गई है, जिसमें 20 जून से 10 जुलाई के बीच 91 लोगों की जान चली गई है।

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