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Indian Army: सैनिकों की कमी से जूझ रही भारतीय सेना, क्या अग्निपथ स्कीम से भर्ती प्रक्रिया में होगा सुधार

indian army: भारतीय सेना में हर साल करीब 50,000 से 60,000 सैनिक रिटायर होते हैं, जो उनकी सेवा अवधि पूरी होने पर निर्भर करता है।

भारतApr 08, 2025 / 04:00 pm

Ashib Khan

Indian Army: भारतीय सेना इस समय सैनिकों की कमी की चुनौती से जूझ रही है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, सेना में लगभग 12 लाख 48 हजार सक्रिय सैनिक हैं, लेकिन इसमें 1 लाख से अधिक सैनिकों की कमी बताई जा रही है। संसदीय समिति ने इस मुद्दे पर जानकारी दी है, जिसमें यह भी उल्लेख किया गया कि सेना में करीब 17 प्रतिशत अधिकारियों और 8 प्रतिशत सैनिकों के पद खाली हैं।

कोविड-19 के दौरान दो साल नहीं हुई थी भर्ती

इस कमी के कई कारण हो सकते हैं। माना जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में भर्ती प्रक्रिया में देरी, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान दो साल तक भर्ती न होना, एक बड़ा कारण है। इस दौरान करीब 1.20 लाख सैनिक सेवानिवृत्त हुए, लेकिन नई भर्तियां पर्याप्त संख्या में नहीं हो पाईं। इसके अलावा, अग्निवीर योजना जैसे कदमों ने भी दीर्घकालिक सैनिकों की संख्या पर असर डाला है, जिसके चलते जनशक्ति की कमी और गहरी हुई है। 

रक्षा मंत्रालय ने कही ये बात

सेना में सैनिकों की कमी पर रक्षा मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अग्निपथ योजना आगे बढ़ेगी तो सैनिकों की कमी पूरी होती जाएगी। इसके अलावा अधिकारियों की कमी पर कहा कि अधिकारियों की कमी को पूरा कनरे के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। चयन प्रक्रिया में भी रिफॉर्म किया गया है। भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, LOC पर पाकिस्तान घुसपैठिये ढेर, देखें वीडियो…
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हर साल इतने सैनिक होते है रिटायर

गौरतलब है कि भारतीय सेना में हर साल करीब 50,000 से 60,000 सैनिक रिटायर होते हैं, जो उनकी सेवा अवधि पूरी होने पर निर्भर करता है। कोविड के दो साल के दौरान भर्ती प्रक्रिया रुकने के बावजूद रिटायरमेंट की प्रक्रिया जारी रही, जिसके चलते यह संख्या 1.20 लाख के आसपास पहुंची। इसने सेना में पहले से मौजूद जनशक्ति की कमी को और गंभीर बना दिया, क्योंकि इस अवधि में नई भर्तियां न के बराबर हुईं।
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सरकार कर रही ये उपाय

सेना इस कमी को पूरा करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है, जैसे सर्विस सिलेक्शन सेंटर्स के माध्यम से अधिकारियों की भर्ती को बढ़ावा देना और तकनीकी आधुनिकीकरण पर ध्यान देना। फिर भी, यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर तब जब भारत को सीमा पर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कमी को दूर करने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।

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