वैभव मीणा बने संयुक्त सचिव
मतगणना की प्रक्रिया देर रात तक चली, जिसमें 3000 से अधिक वोटों की गिनती के बाद एबीवीपी के प्रत्याशी सभी प्रमुख पदों पर आगे रहे। अध्यक्ष पद पर एबीवीपी की शिखा स्वराज ने आइसा और डीएसएफ के संयुक्त उम्मीदवार नीतीश कुमार के खिलाफ कांटे की टक्कर में बढ़त हासिल की। उपाध्यक्ष पद पर निट्टू गौतम, महासचिव पद पर कुणाल राय और संयुक्त सचिव पद पर वैभव मीणा ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी जीत की ओर कदम बढ़ाए। खास तौर पर वैभव मीणा की संयुक्त सचिव पद पर बढ़त ने एबीवीपी के लिए इस जीत को और भी यादगार बना दिया। वाम के गढ़ में एबीवीपी की फिर जोरदार एंट्री
जेएनयू, जहां वामपंथी संगठन जैसे आइसा, एसएफआई और डीएसएफ का दबदबा रहा है, वहां एबीवीपी का यह उभार एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। छात्रों के बीच बढ़ती वैचारिक विविधता और एबीवीपी की रणनीतिक सक्रियता ने इस बार वामपंथी संगठनों को कड़ी चुनौती दी। वैभव मीणा जैसे युवा नेताओं ने न केवल संगठन की विचारधारा को मजबूती से प्रस्तुत किया, बल्कि छात्रों के मुद्दों को उठाकर उनकी आवाज बनने में भी सफलता हासिल की।
यह जीत न सिर्फ एबीवीपी के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि जेएनयू के राजनीतिक इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या एबीवीपी इस बढ़त को अंतिम जीत में बदल पाएगी और जेएनयू में भगवा का परचम पूरी तरह लहराएगा।