‘चुने हुए परिवार’ की अवधारणा अब अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी है और न्यायशास्त्र में इसे स्वीकार किया गया है। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस वी.लक्ष्मीनारायणन की बेंच ने एक याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए यह व्यवस्था दी। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मौलिक अधिकार नहीं माना है लेकिन शादी परिवार बनाने का अकेला तरीका नहीं है।
पुलिस के रवैए की निंदा
याचिकाकर्ता ने अपने साथी को उसके परिवार द्वारा अलग कर साथ लेजाने और पुलिस से मदद नहीं मिलने पर याचिका दायर की थी। आरोप था कि पुलिस ने उसकी मदद करने के बजाय साथी के परिवार का साथ दिया। बेंच ने आदेश में पुलिस के रवैए की निंदा की। बेंच ने कहा कि पुलिस का यह कर्तव्य है कि जब भी एलजीबीटी समुदाय के सदस्यों से इस तरह की शिकायतें प्राप्त हों, तो वे तत्काल और उचित तरीके से कार्रवाई करें।