2,000 से अधिक अवैध बांग्लादेशी वापस भेजे गए
सूत्रों के मुताबिक, इस कार्रवाई के कारण पैदा हुए भय के चलते बड़ी संख्या में अप्रवासी खुद ही भारत-बांग्लादेश सीमा के पास पहुंचे हैं और स्वेच्छा से देश छोड़ रहे हैं। अब तक करीब 2,000 लोगों ने बिना किसी औपचारिक कार्रवाई के खुद सीमा पार कर ली है।
तीन पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र की मुहिम
ऑपरेशन सिंदूर का दायरा मुख्यतः त्रिपुरा, मेघालय और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में केंद्रित है, जहां से बांग्लादेशी सीमा पर ‘वापसी’ की प्रक्रिया आसान मानी जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस दिशा में एक केंद्रित प्रयास शुरू हुआ। ऑपरेशन सिंदूर के तहत इस कार्रवाई को संगठित और गति दी गई। गुजरात से सबसे ज्यादा निष्कासन
अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान की शुरुआत गुजरात से हुई, जहां सबसे पहले अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें निकाला गया। अब तक वापस भेजे गए करीब आधे प्रवासी गुजरात से हैं। दिल्ली और हरियाणा में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी प्रवासी पकड़े गए और सीमा पर भेजे गए। इसके अतिरिक्त असम, महाराष्ट्र और राजस्थान से भी लोग निष्कासित किए गए हैं।
दिल्ली-हरियाणा भी पीछे नहीं
एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने बताया कि यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी और जिन राज्यों में औद्योगिक गतिविधियां अधिक हैं जैसे दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र वहां प्रवासियों की अधिक संख्या है, जिससे यह अभियान और व्यापक हो रहा है।
बीएसएफ शिविरों से भोजन-पानी के बाद भेजे जा रहे बांग्लादेशी
सूत्रों के अनुसार, इन अवैध प्रवासियों को भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विभिन्न राज्यों से सीमा तक पहुंचाया जा रहा है, जहां उन्हें बीएसएफ द्वारा संचालित अस्थायी शिविरों में रखा जाता है। उन्हें आवश्यकतानुसार भोजन और कुछ बांग्लादेशी मुद्रा भी दी जाती है, ताकि वे सीमा पार करने के बाद प्रारंभिक जरूरतें पूरी कर सकें। कुछ घंटों की औपचारिक हिरासत के बाद उन्हें उनके देश लौटा दिया जाता है।