script35 लाख दिए, फिर भी भूखे पेट महीनों जंगलों में भटका…एजेंट ने हड़प ली 1 करोड़ की जमीन- अमेरिका से लौटाए गए लोगों की खौफनाक कहानियां | Painful stories of deported Indians, paid 35 lakhs, remained hungry for months in forests, agent grabbed agricultural land worth Rs 1 crore | Patrika News
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35 लाख दिए, फिर भी भूखे पेट महीनों जंगलों में भटका…एजेंट ने हड़प ली 1 करोड़ की जमीन- अमेरिका से लौटाए गए लोगों की खौफनाक कहानियां

Deportation: बेहतर ज़िंदगी की तलाश में अमेरिका जाने के चक्कर में जहां देश में उनके साथ धोखा हुआ, वहीं परदेश में भी नारकीय जीवन गुज़ारना पड़ा।

भारतFeb 17, 2025 / 01:08 pm

Shaitan Prajapat

Deportation: अमेरिका ने बीते दो दिनों में 228 भारतीयों को अपने यहां से वापस भेजा है। ये लोग अवैध तरीके से अमेरिका गए थे। वहां से जबरन वापस भेजे जाने के बाद कई भारतीयों ने जो कहानी बयां की है, वह खौफनाक है। बेहतर ज़िंदगी की तलाश में अमेरिका जाने के चक्कर में जहां देश में उनके साथ धोखा हुआ, वहीं परदेश में भी नारकीय जीवन गुज़ारना पड़ा।
कई लोगों ने जमीन बेचकर और लोन लेकर अमेरिका जाने की कोशिश की, लेकिन वहां की कठिनाइयों ने उनका जीना मुश्किल कर दिया। कई महीनों तक वे जंगलों में भूखे पड़े रहे। इसके अलावा, कुछ परिवारों को धोखाधड़ी का सामना भी करना पड़ा। उनका कहना है कि एजेंटों ने उनकी 1 करोड़ रुपये की कीमत वाली कृषि भूमि हड़प ली।

फर्जी ट्रैवल एजेंट को चुकाए 35 लाख रुपये

हरियाणा के जींद निवासी रवि को अमेरिका पहुंचने के लिए फर्जी ट्रैवल एजेंट को करीब 35 लाख रुपये चुकाने के बाद भी 220 दिनों तक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसमें से 6 लाख रुपये उसके परिवार ने चुकाए है। 26 वर्षीय रवि को पनामा के जंगालों में भूखा रखा गया और कथित तौर पर बंधक बना लिया गया। रवि ने दस देशों की यात्रा की है। कुछ महीने जंगलों में बिताए और करीब 20 दिन पहले अमेरिका पहुंचने के लिए दीवार फांदी, लेकिन उसे पकड़ लिया गया और निर्वासित कर दिया गया।

कई महीनों तक जंगलों में रहा भूखा

रवि के भाई अमित ने कहा कि एजेंट ने उसके भाई को 29 लाख रुपये में कानूनी तौर पर अमेरिका भेजने का वादा किया था। रवि को पहले दुबई भेजा गया, जहां उसे कई महीनों तक रखा गया। पनामा के जंगलों में रवि को कई दिनों तक खाना नहीं दिया गया और उसे पांच-छह महीने कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।
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पिता ने खेत बेचकर लिया लोन

अमित ने बताया, जब एजेंट ने 6 लाख रुपये और मांगे तो हमारे पिता ने खेत बेचकर लोन लिया और पैसे जुटाए। यह पैसे एजेंट को दिए गए। इस घ्टना के पीछे तीन एजेंट दीपक मलिक, रजत मोर और मनीष पंडित शामिल थे।

पुलिस का दावा, उनके पास नहीं आई शिकायत

पुलिस ने दावा किया कि उनके पास अभी तक कोई शिकायत नहीं आई है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अगर ऐसा किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी। जींद के दो और युवकों निशांत और शुभम को जल्द ही अमेरिका से वापस भेजे जाने की उम्मीद है।

बेरोजगार गोवा के दो लोगों ने जनवरी में अपनाया डंकी रूट

गोवा में नौकरी की कमी और अमेरिकी सपनों के आकर्षण ने हताश युवाओं को दक्षिण अमेरिका के डंकी रूट के लिए प्रेरित किया। Newton Sequeira की रिपोर्ट के अनुसार, एक बार जब वे मैक्सिको-अमेरिका सीमा पार कर लेते हैं, तो उन्हें छोटे शहरों में तस्करी कर ले जाया जाता है, जहां वे फर्जी एजेंटों को लाखों रुपये का भुगतान करने के बाद पेट्रोल पंप ऑपरेटर, माली या डिलीवरी एजेंट के रूप में काम पाने की उम्मीद करते हैं। पिछले महीने ही अमेरिका के लिए रवाना हुए दो युवा गोवावासियों के लिए यह सपना तब टूट गया, जब वे शनिवार को एक अमेरिकी सी-17 सैन्य परिवहन विमान में बेड़ियों और हथकड़ियों में जकड़े बैठे थे।

2 एकड़ जमीन बेची, 45 लाख का लिया लोन

परमजीत सिंह उर्फ ​​सौरव पिछले साल 17 दिसंबर को पंजाब के फिरोजपुर में अपने पैतृक गांव चांदीवाला से अपने घर के लिए निकला था। उसके मन में बहुत सारी भावनाएं थीं। 23 वर्षीय परमजीत के परिवार ने दो एकड़ जमीन बेच दी थी और 45 लाख रुपये जुटाने के लिए लोन लिया था। उसे अवैध तरीके से अमेरिका जाने के लिए इमिग्रेशन एजेंट को पैसे देने थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें पता था कि यह यात्रा जोखिम भरी है, लेकिन खुशहाल जिंदगी का वादा इतना मजबूत था कि वे इसे ठुकरा नहीं पाए। दो महीने बाद, वह शारीरिक और मानसिक रूप से टूटकर चांदीवाला वापस आ गया। पैसे खत्म हो चुके हैं और उसके भ्रम टूट चुके हैं।

40 दिनों तक कई परेशानियों से जूझे

सौरव ने कहा कि पिछले 40 दिन सबसे कठिन थे। मैंने देखा कि कैसे आपके द्वारा लिया गया जीवन का चुनाव आपका सबसे बड़ा दुश्मन बन सकता है। वह 10 दिनों में एक अमेरिकी शहर से अमृतसर के लिए दूसरे निर्वासन विमान में सवार 116 अवैध भारतीय अप्रवासियों में से एक है। उन्होंने कहा, मैं उम्मीद कर रहा था कि किसी तरह अमेरिका पहुंच जाऊंगा और जीवन आसान हो जाएगा। दो महीने की कठिन परीक्षा की शुरुआत उसके पहले मलेशिया में उतरने से हुई, जहां उसने एक सप्ताह बिताया। उसके बाद उसके इमिग्रेशन एजेंट ने उसे वापस मुंबई के लिए उड़ान पर बिठा दिया।

जंगलों से होते हुए पैदल पहुंचे मैक्सिको सिटी

वहां 10 दिन बिताने के बाद, सौरव को एम्स्टर्डम और फिर पनामा ले जाया गया। सौरव और कई अन्य अवैध अप्रवासियों को पनामा से जंगलों से होते हुए पैदल चलकर मैक्सिको सिटी पहुंचने के लिए मजबूर किया गया, जहां उन्हें तीन दिन और इंतजार करना पड़ा। वहां से समूह को टैक्सी द्वारा अमेरिकी सीमा के पास एक स्थान पर ले जाया गया और उन्हें खुद ही सीमा पार करने के लिए कहा गया, लेकिन गार्डों ने उन्हें देख लिया और गिरफ्तार कर लिया। सौरव याद करते हैं कि उन्हें सीमा पुलिस चौकी पर ले जाया गया, जहां उनसे उनके फिंगरप्रिंट मांगे गए, उनकी तस्वीरें ली गईं और हस्ताक्षर करने के लिए कई दस्तावेज़ दिए गए।

एजेंट ने परिवार की 1 करोड़ कीमत की हड़प ली कृषि भूमि

कमलप्रीत कौर ने कभी बेहतर जीवन का सपना देखा था। लेकिन अब वह और उनके पति दलजीत सिंह खाली हाथ हैं। अमेरिका का सपना टूटने के साथ ही उनकी 4.5 एकड़ की कृषि भूमि भी हाथ से चली गई। दलजीत सिंह उन 116 भारतीयों में शामिल हैं जिन्हें अमेरिका से अवैध रूप से देश में प्रवेश करने और रहने के कारण निर्वासित किया गया था। वह शनिवार की रात बेड़ियों में जकड़े अमृतसर पहुंचे। दलजीत को ढाई साल पहले खतरनाक डंकी रूट से वहां भेजा गया था। मैक्सिको में फंसने के बाद उसने घर पर एक हताश कॉल किया। उसने कमलप्रीत से कहा, एजेंट को पैसे दो, वरना मुझे जाने नहीं देंगे। धमकी के कारण उनके पास पंजाब के होशियारपुर जिले के कुराला कलां गांव में अपनी 4.5 एकड़ जमीन स्थानीय ट्रैवल एजेंट को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इस प्रकार करीब 1 करोड़ रुपये की जमीन उनके हाथ से निकल गई।

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