जयपुर। वेद केवल पुस्तक नहीं है, बल्कि सृष्टि का ज्ञान है। वेद सृष्टि की रचना प्रक्रिया और जीवन से जुड़े प्रत्येक विषय के बारे में बताते हैं। वेद की भाषा गूढ़ है, इसे आसान शब्दों में समझाने का महती कार्य गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘वेद विज्ञान उपनिषद’ में हुआ है। यह पुस्तक वेद के तत्त्वों को आसान तरीके से समझाती है।
यह बात राजस्थान पत्रिका की ओर से जवाहर कला केंद्र में चल रहे बुक फेयर में गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘वेद विज्ञान उपनिषद’ पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कही। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद एवं पौरोहित्य विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वेद का तात्पर्य है जो हमें इष्ट की प्राप्ति के बारे में बताए। वेद विचार है, ज्ञान है। समय के साथ वैदिक संहिताओं की संख्या काफी कम रह गई है। उन्होंने बताया कि वेदों की परंपरा श्रुति रही है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि कोठारी की इस पुस्तक में वेद के विभिन्न विषयों की वैज्ञानिक दृष्टि से आसान भाषा में व्याख्या की गई है। सृष्टि की संरचना के विविध विषयों का विवेचन जिस भांति कोठारी ने पंडित मधुसूदन ओझा की परंपरा में किया है, वह अत्यंत उपादेय है। वेद मंत्र के रहस्य का ज्ञान उसकी वैज्ञानिक प्रक्रिया में समझने में यह ग्रंथ सहायक है। वेद के अनुशीलन में आमजन के लिए यह पुस्तक उपयोगी है।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के अध्यक्ष शास्त्री को सलेंद्रदास ने इस सत्र में बताया कि वेद समस्त मानव जाति का सबसे पुराना ग्रंथ है। चिंतन क्रम वेद से शुरू हुआ। ऐसे में यह पुस्तक ऋषियों के मंतव्य को आसानी से समझाने में बहुत उपयोगी है। पुस्तक के नाम से प्रदर्शित होता है कि इसमें आरण्यक और ब्राह्मण ग्रंथों के तत्वों का समावेश भी है।
इसमें ज्ञान का प्रक्रियात्मक प्रयोग विज्ञान के रूप में स्पष्ट हुआ है। एक उदाहरण से समझें तो लेखक ने क्षीर सागर की व्याख्या करते हुए हमारे वायुमंडल सहित संपूर्ण अंतरिक्ष को ही क्षीर सागर बताया है। आकाश में जल की जितनी प्रभूत मात्रा है, वही तो क्षीर सागर है। उसी में विष्णु (तत्त्व रूप) शयन कर रहे हैं। इसी प्रकार के विवेचन इस पुस्तक को वेद में प्रवेश का आसान रास्ता बनाते हैं।
प्रश्न उत्तर पर आधारित पुस्तक
सत्र की शुरुआत में इस पुस्तक पर विस्तृत चर्चा करते हुए वेद विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान से जुड़े सुकुमार वर्मा ने बताया कि यह पुस्तक प्रश्न-उत्तर पर आधारित है। इसमें शिष्य सवाल के रूप में अपनी जिज्ञासा प्रस्तुत करता है और लेखक आचार्य के रूप में जवाब देकर शिष्य की जिज्ञासा को शांत करता है।
इन सवाल-जवाब के माध्यम से यह पुस्तक वैदिक गुत्थियों को आसानी से सुलझाती है। इसमें ‘ब्रह्म और माया, प्रकृति और पुरुष, मन, प्राण, वाक्, आत्मा, हृदय, अग्नि-सोम, परमेष्ठी, विष्णु, गौ, शक्ति, सूर्य, बुद्धि, अन्न’ आदि विषयों का विवेचन करते हुए सृष्टि के रहस्यों को समझने की सरल दृष्टि दी गई है। इन जिज्ञासाओं के समाधान से वेद में प्रवेश का रास्ता आसान हो जाता है।
वेद विज्ञानपरक जानकारी
इस सत्र का मॉडरेशन वेद विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान से जुड़ी डॉ. श्वेता तिवारी ने किया और कोठारी की वेद विज्ञानपरक रचनाओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिश ने वेदों की उपलब्ध सभी ग्यारह संहिताओं का संकलन शब्द वेद के रूप में किया, जिसे पत्रिका प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।