पोस्टर में लिखा यह क्या सरकार है
पोस्टर में मराठी में लिखा गया, काय सालं सरकार आहे, परप्रांतीयांना महाराष्ट्रात मराठी सक्ती करायच्या ऐवजी मराठी लोकांना हिंदीची सक्ती करत आहेत। इसका मतलब है कि, क्या सरकार है..! महाराष्ट्र में परप्रांतीयों के लिए मराठी सख्ती करनी चाहिए, लेकिन मराठी लोगों पर हिंदी थोप रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब मनसे ने पोस्टर लगा कर हिंदी का विरोध किया है। राज्य सरकार जब नई शिक्षा नीति के जरिए पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी भाषा को अनिवार्य कर रही थी उस समय भी मनसे ने इस तरह पोस्टर लगा कर सरकार का विरोध किया था।
हिंदी भाषा की किताबों में लगाई आग
स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने भांडुप और कांजूरमार्ग इलाके की दुकानों से हिंदी भाषा की स्कूल की किताबों को ढूंढ ढूंढकर फाड़ा और फिर उनमें आग लगा दी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इलाके के मराठी स्कूलों में जबरदस्ती हिंदी भाषा पढ़ाई जा रही है और वह यह बर्दाश्त नहीं करेंगे। कार्यकर्ताओं ने हिंदी थोपने का कड़ा विरोध किया और दुकानदारों को भी मराठी स्कूलों में हिंदी भाषा की किताबें रखने और बेचने के लिए खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि इस चेतावनी को नहीं मानने वाले दुकानदार को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है।
मराठी को बचाए रखने के लिए लगातार संघर्ष करेंगे
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब पहले ही राज्य में भाषा को लेकर भारी विवाद चल रहा है। मनसे पहले भी हिंदी भाषा को लेकर कई तरह के प्रदर्शन कर चुकी है। पहले जहां हिंदी बोलने का विरोध किया जा रहा था वहां इस बार पार्टी ने शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग पर नाराजगी जताई है। पार्टी का कहना है कि वह मराठी को बचाए रखने के लिए लगातार संघर्ष करते रहेंगे और इसके लिए हर सीमा तक जा सकते है।