scriptकुम्भ में टूटी सनातनी परंपरा? शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने की योगी आदित्यनाथ को हटाने की मांग | Sanatani tradition broken in Kumbh? Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda demanded the removal of Yogi Adityanath | Patrika News
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कुम्भ में टूटी सनातनी परंपरा? शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने की योगी आदित्यनाथ को हटाने की मांग

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार को अब सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।

भारतJan 31, 2025 / 03:39 pm

Anish Shekhar

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ के बाद राज्य की भाजपा सरकार को चारों ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। राजनैतिक दलों के बाद अब संत-महंतों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसी कड़ी में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एबीपी न्यूज पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार को अब सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।
शंकराचार्य ने 17 घंटे तक मृतकों की संख्या को रोकने पर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर इस घटना की सही जानकारी नहीं दी गई और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की जाती रही। इस कारण धर्मगुरुओं जैसे शंकराचार्य को भी इस घटना की जानकारी समय पर नहीं मिल पाई। उन्होंने कहा कि यदि घटना की सही जानकारी मिलती, तो लोग परंपराओं का पालन करते हुए मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते और उपवास रखते। कई लोग उनसे संपर्क कर अपने लापता रिश्तेदारों के बारे में जानकारी मांग रहे थे, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिल पा रहा था।
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि यह घटना इस बात का संकेत है कि आयोजन की तैयारियां पूरी नहीं थीं और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी के घर में कार्यक्रम के लिए 1000 लोगों की व्यवस्था है, तो 5000 लोगों को नहीं बुलाया जाना चाहिए। यही स्थिति महाकुंभ में देखने को मिली।

घटनाक्रम का टाइमलाइन

मंगलवार को मौनी अमावस्या के मुहूर्त के साथ ही शाम 7.35 बजे से श्रद्धालु संगम तट पर जुटना शुरू हो गए। देर रात 2 बजे तक भीड़ इतनी बढ़ गई कि स्थिति असामान्य हो गई। पवित्र स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा और मेला प्रशासन के लिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो गया। घायलों और मृतकों को अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस भेजी गईं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस त्रासदी का प्रमुख कारण संगम पर तीर्थयात्रियों की अचानक उमड़ी भीड़ थी, जो शुभ समय के आरंभ में, प्रातः 3 बजे पवित्र स्नान करने के लिए उत्सुक थे।
सुबह करीब 8 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर संदेश पोस्ट करते हुए श्रद्धालुओं से अपील की कि वे अपने निकटतम घाट पर ही पवित्र स्नान करें और संगम की ओर जाने का प्रयास न करें। उन्होंने प्रशासन से निर्देशों का पालन करने की भी अपील की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना का संज्ञान लिया और स्थिति पर निगरानी रखने का भरोसा दिलाया। गृह मंत्री अमित शाह ने भी केंद्र से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

डीआईजी की पीसी

घटना के कई घंटे बाद महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह हादसा भीड़ के दबाव के कारण हुआ। उन्होंने बताया कि भीड़ ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और दूसरी ओर कूद गई, जिससे लोग कुचल गए। 90 से अधिक घायल हुए थे, जिनमें से 30 की मौत हो गई थी।
डीआईजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसमें न्यायमूर्ति हर्ष कुमार, पूर्व डीजी वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस वीके सिंह शामिल होंगे। उन्होंने मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। भावुक होकर उन्होंने कहा, “यह जानना जरूरी है कि ऐसी त्रासदी कैसे हुई।”

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