script21 साल की उम्र में प्लेन उड़ाने वाली Sarla Thakral बनीं देश की पहली महिला पायलट, पति की मौत ने तोड़े सपने | Sarla became India's first woman pilot to fly a plane wearing a sari at the age of 21, her husband's death shattered her dreams | Patrika News
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21 साल की उम्र में प्लेन उड़ाने वाली Sarla Thakral बनीं देश की पहली महिला पायलट, पति की मौत ने तोड़े सपने

Sarla Thakral Success Story: सरला ठकराल का पति की मौत के बाद पायलट बनने का सपना टूट गया और वह भारत वापस आ गईं। इसके बाद उन्होंने मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया और पेंटिंग सीखने के साथ ही फाइन आर्ट में डिप्लोमा हासिल किया। 

भारतMar 06, 2025 / 08:20 pm

Ashib Khan

भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल

भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल

Sarla Thakral Success Story: समाज में महिलाओं के लिए कई तरह की बंदिशें होती है, लेकिन जब-जब महिलाओं को मौका मिला है उन्होंने अपना नाम रौशन किया है। कुछ ऐसा ही सरला ठकराल ने किया। सरला ठकराल भारत की पहली महिला पायलट हैं। उन्होंने महज 21 साल की उम्र में हवाई जहाज उड़ाया था। 

21 साल की उम्र में उड़ाया प्लेन

सरला ठकराल ने 1936 में महज 21 साल की उम्र में विमान उड़ाया और इतिहास रच दिया। जिस समय महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल होता था उस समय सरला ठकराल ने सामाजिक बंदिशों को तोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की। 

दिल्ली में हुआ था जन्म

दिल्ली में सरला ठकराल का जन्म हुआ था। महज 16 साल कि उम्र में सरला की शादी पी.डी. शर्मा से हुई। पी.डी. शर्मा खुद एक पायलट थे। सरला के सुसराल में 9 पायलट थे। उनको पति पी.डी. शर्मा ने उड़ान भरने को लेकर प्रोत्साहित किया था। जिसके कारण उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारी होने के बाद भी अपने सपनों को जिंदा रखा। सरला को लोग प्यार से ‘मति’ कहते थे।

1936 में पहली बार उड़ाया विमान

साल 1929 में सरला ठकराल ने पहली बार दिल्ली में खोले गए फ्लाइंग क्लब में विमान चलाने का प्रशिक्षण लिया। 1936 में लाहौर का एयरपोर्ट उस समय ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले प्लेन को उड़ाया था। 

साड़ी पहनकर उड़ाया प्लेन

सरला ठकराल ने इस दौरान साड़ी पहनी हुई थी। उस दिन सरला ने न सिर्फ अपना फ्लाइंग टेस्ट पास किया, बल्कि यह भी सोच लिया था कि वो इसे और आगे तक लेकर जाएगी। जब सरला ने 21 साल की उम्र में पहली उड़ान भरी थी तब वह एक चार साल की बेटी की मां भी थीं। 

सरला के लिए 1939 रहा दुख भरा

सरला ठकराल के लिए 1939 का साल बहुत दुख भरा रहा। सरला कर्मशियल पायलट लाइसेंस के लिए मेहनत कर रही थी तभी द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ट्रेनिंग बीच में रोकनी पड़ी। हालांकि इससे भी दुख भरी बात यह रही कि इसी साल एक विमान हादसे में उनके पति की मौत हो गई। पति की मौत के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। पति की मौत के सरला ठकराल 24 साल की थीं।

पति की मौत के बाद टूटा सपना

सरला ठकराल का पति की मौत के बाद पायलट बनने का सपना टूट गया और वह भारत वापस आ गईं। इसके बाद उन्होंने मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया और पेंटिंग सीखने के साथ ही फाइन आर्ट में डिप्लोमा हासिल किया। 

2008 में सरला ठकराल की हुई मौत

भारत के विभाजन के बाद वह अपनी 2 बेटियों  के साथ दिल्ली आ गईं। सरला ने बाद में पीपी ठकराल से दोबारा शादी की। शादी के बाद सरला ठकराल एक सफल उद्धमी और पेंटर बनीं। 15 मार्च 2008 को सरला ठकराल की मृत्यु हो गई।

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